मानसून सत्र में नई नवेली दिखेगी 88 वर्ष पुरानी संसद, आधुनिक तकनीकों से तीन महीनों में हुई सफाई

संसद का मानसून सत्र जब 18 जुलाई से शुरू होगा तो सांसदों को संसद भवन की इमारत नई-नई सी लगेगी। 88 साल पुराने लाल पत्थरों से बने संसद भवन की पहली बार आमूल चूल सफाई जो हुई है। केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग (सीपीडब्लूडी) ने तीन महीने के अथक प्रयासों और नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल से संसद भवन की सफाई की है। इसमें वाटर जेट, स्टीम जेट और माइक्रो सैंड ब्लास्टिंग जैसी तकनीकों का प्रयोग किया गया। टूटे हुए पत्थरों और टाइलों को बदल दिया गया है।
दरअसल, धूल, मिट्टी, धुआं और खाने-पीने की सामग्री से पत्थर इतने गंदे हो गए थे कि कई स्थानों पर लाल की जगह कत्थई या भूरे दिखने लगे थे। इंजीनियरों ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को बताया कि गंदगी से पत्थरों में मौजूद छोटे-छोटे छेद बंद हो गए हैं और वे सांस नहीं ले पा रहे हैं। प्रदूषित हवा में मौजूद सल्फर डाइ आक्साइड इससे उनका क्षरण हो रहा है। महाजन ने इमारत की सफाई करने के आदेश दिए। उनका कहना था देश में एक ही संसद भवन है और वह भव्यतम दिखना चाहिए।
 

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