इतिहास ने फिर खुद को दोहराया, कर्नाटक ने बदली सत्ता
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती जारी है। रुझानों के मुताबिक भाजपा ने सौ का आकड़ा पार कर लिया है। भाजपा राज्य में बहुमत के करीब है। वहीं कांग्रेस शुरुआत में आगे चल रही थी लेकिन बाद में पीछे रह गई। बीजेपी के लिए कर्नाटक में आना 2019 के लिहाज से भी काफी अहम माना जा रहा है।
कर्नाटक में सत्ता बदलने की परंपरा
वहीं बात करें तो कर्नाटक के पिछले 5 चुनावों का विश्लेशण किया जाए तो पता चलता है कि राज्य में हर 5 साल बाद सत्ता परिवर्तन हो जाता है। 1994 में कर्नाटक में जनता दल की सरकार थी और 1999 के अगले चुनाव में ही राज्य की जनता ने जनता दल को नकार कर कांग्रेस को सत्ता सौंप दी। 2004 के चुनाव में कांग्रेस भी सत्ता से बाहर हो गई और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी व राज्य में जे.डी.एस. व भाजपा की मिली-जुली सरकार बनी। यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और 2008 में राज्य में हुए चुनाव के दौरान भाजपा 110 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी और राज्य में सरकार बनाई। 2013 में कर्नाटक की जनता ने ऐसी पलटी मारी कि 110 सीटों वाली भाजपा को 40 सीटों पर ला पटका और 122 सीटों के साथ कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आ गई। मजेदार बात यह रही कि जनता का फैसला इतना एकतरफा था कि भाजपा के 110 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।