यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रह चुके मुखर्जी ने बताया कि 2008 में आर्थिक संकट के दौरान भारतीय बैंकों ने लचीलापन था और तब सार्वजनिक क्षेत्र के एक भी बैंक ने धन की मांगा।
मुखर्जी ने कहा कि अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।