कैसे रेलवे को निजी हाथों में सौंपा जाना देश को बेचे जाने सरीखा है

  • रेलवे हमारा सबसे बड़ा राष्ट्रीय उपक्रम है और रहेगा. ये उपक्रम देश के लाखों लोगों के आराम और सुविधा का खयाल बहुत आत्मीयता से रखता है.
  • इसके साथ कर्मचारियों की बहुत बड़ी संख्या जुड़ी है, जिसके कल्याण की हमेशा फिक्र होनी चाहिए.
  • फिलहाल, रेलवे में होने वाला बदलाव एकदम उलट तस्वीर है. जैसे रेलवे अब राष्ट्र की ‘महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं, बल्कि महज बिकाऊ संपत्ति है’. 
  • यात्रियों को मिलने वाली सुविधा एहसान की तरह जताई जा रही है और हर सुविधा पर अतिरिक्त शुल्क हनक के साथ वसूलने का कायदा अमल में आ चुका है.
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  • भारतीय रेल में पहली निजी ट्रेन ‘तेजस’ के ट्रैक पर दौड़ने के साथ ही भारतीय रेल के इतिहास में नया अध्याय भी लिख गया. जल्द ऐसी ही 150 ट्रेनों और 50 स्टेशनों के भी निजी होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

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