क्या भारत के गांव वाकई शौच मुक्त हो गए हैं?

  • स्वच्छ भारत मिशन के डेटाबेस के मुताबिक, 26 सितंबर तक सभी गांवों ने खुद को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है और और 90 फीसदी गांव सत्यापन के पहले चक्र से गुजर चुके हैं.
     
  • सच्चाई ेये है कि सत्यापन का काम सिर्फ कागजों पर किया गया है और कई मामलों में तो यह काम किसी के भी गांव गए बगैर ही कर लिया गया है. 
     
  • ओडिशा में सिर्फ 51 फीसदी गांव सत्यापन के पहले स्तर से गुजरे हैं. बिहार ने अपने 38,000 से ज्यादा गांवों में से 58 फीसदी गांवों में पहले चरण का सत्यापन किया है.

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  • 2019-20 में जितने गांवों का सत्यापन हुआ, उनमें से 63 फीसदी का सत्यापन सिर्फ चार दिनों में- प्रधानमंत्री द्वारा भारत को खुले में शौच मुक्त घोषित करने से महज एक हफ्ते पहले- किया गया.
     
  • अगर हम दूसरे स्तर के सत्यापन का सरकारी आंकड़ा देखें, तो यह सरकार के दावों की मजबूती को लेकर और सवाल खड़े करता है. पूरे देश में सिर्फ 24 फीसदी गांवों को दूसरी बार सत्यापित किया गया है.

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