निजीकरण से मोदी सरकार को मदद मिलेगी, लेकिन यह राजनीतिक जोखिम से भरा है

  • आज की जरूरत है- निजीकरण. रेलवे स्टेशन और रेलगाड़ियों से लेकर हवाईअड्डों, कंटेनर कॉर्पोरेशन, शिपिंग कॉर्पोरेशन, हाइवे परियोजनाओं, एअर इंडिया, भारत पेट्रोलियम तक सबका निजीकरण होने वाला है .
  • हम विनिवेश की नहीं बल्कि असली निजीकरण की बात कर रहे हैं. जिसमें नियंत्रण करने वाले हाथ बदल जाएंगे. ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी अंततः अपने इस विचार पर अमल करने जा रहे हैं कि बिजनेस सरकार का बिजनेस नहीं है.
  • माना जा रहा है कि 2016 में की गई नोटबंदी और अटपटे ढंग से लागू की गई जीएसटी के कारण भी आर्थिक सुस्ती आई है.
  • सरकार खर्चे बढ़ाने के एक के बाद एक कई कार्यक्रमों और टैक्स में छूट की घोषणा करती रही है. सो, बिल तो बड़ा होता गया और टैक्स से आमदनी घटती गई.
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  • भारतीय रिजर्व बैंक पर दबाव डालकर एकमुश्त भुगतान करवाया गया. लेकिन, यह काफी नहीं होगा. इसलिए निजीकरण ही आसान उपाय है.

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