बाल ठाकरे के सामने नतमस्तक रही बीजेपी ने शिवसेना को कैसे जूनियर बना दिया?
महाराष्ट्र में खुद को हिंदुत्व और मराठी अस्मिता की सबसे बड़ी अलमबरदार मानने वाली शिवसेना विधानसभा चुनावों में अब वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रही है.
बीजेपी के साथ गठबंधन में जूनियर पार्टनर होने की हैसियत स्वीकार करने के बाद ये तय हो चुका है कि शिव सेना का बाला साहब ठाकरे के दिनों वाला जलवा खत्म हो चुका है.
महाराष्ट्र में एनडीए में सीटों का तालमेल जिस तरह से हुआ, उससे स्पष्ट है कि शिव सेना अब ये सोचना बंद कर चुकी है कि वह अकेले दम पर महाराष्ट्र की सत्ता में आएगी, या कि उसका अपना मुख्यमंत्री होगा.
बाल ठाकरे के निधन के बाद नेतृत्व का संकट तो शिवसेना झेल ही रही है, साथ ही विभाजन का दंश भी उसने झेला है. इससे भी उसकी आक्रामकता कम हुई है.