शिक्षक दिवस: राष्ट्रपति देशभर के 46 शिक्षकों को करेंगे सम्मान, जिसमे कश्‍मीर के गुरनाम सिंह भी हैं शामिल

शिक्षक दिवस पर वीरवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में जम्मू कश्मीर से एक मात्र शिक्षक और कठुआ जिला के जसरोटा गांव निवासी गुरनाम सिंह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों बेस्ट टीचर्स अवार्ड से सम्मानित हो रहे हैं। शिक्षक के रूप में अपनी उत्कृष्ट कार्यप्रणाली के चलते कठुआ जिले का गौरव बढ़ाने वाले गुरनाम सिंह पिछले तीन दिन से दिल्ली में हैं।
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दैनिक जागरण से बातचीत में हर्ष जताते हुए उन्होंने कहा कि उनके शिक्षक जीवन ही नहीं, बल्कि पूरे जीवन का यह सबसे महत्वपूर्ण एवं महान उपलब्धि का दिन है, जिसे वह ताउम्र याद रखेंगे। देश में शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़े सम्मान तक पहुंचने में वह सबसे पहले वाहे गुरु, गुरु नानक देव जी का आशीर्वाद मानते हैं, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी को पूरी लगन, निष्ठा एवं ईमानदारी से निभाने को भी नजरअंदाज नहीं करते हैं। उनका कहना है कि जब कोई व्यक्ति कुछ हासिल करने के लिए वाहे गुरु के आशीर्वाद से निकल पड़ता है तो कामयाबी मिल ही जाती है।
उन्होंने कोलकाता में गे्रजुएशन करने के बाद पिता के साथ अपने गांव जसरोटा आकर जम्मू यूनिवर्सिटी से एमए व बीएड किया और शिक्षा विभाग में नौकरी मिलने के बाद अपने कर्तव्य को ही सर्वोपरि माना। वह दसवीं तक शिक्षा के दौरान कोलकाता के खालसा इंग्लिश हाई स्कूल के शिक्षक राकेश से काफी प्रभावित हुए। उनका कक्षा में बच्चों को पढ़ाने का तरीका उन्हें बहुत पंसद आता था। जिसके चलते उन्होंने उन्हें पोस्ट ग्रेजुएशन तक अपना रोल मॉडल बनाए रखा।
 
इसी बीच 90 के दशक में जब वह 1992 में शिक्षा विभाग में अध्यापक नियुक्त हुए तो यहां कठुआ के गणित अध्यापक संजय सहगल की शिक्षक के तौर पर सामाजिक गतिविधियों से काफी प्रभावित हुए। सहगल बिना कोई शुल्क लिए गरीब परिवारों के बच्चों को पढ़ाते थे। गुरनाम सिंह ने नौकरी के दौरान संजय सहगल को अपना रोल मॉडल बनाया और खुद भी उनकी तरह स्कूल में गरीब बच्चों को उनकी जरूरत के अनुसार हर चीज उपलब्ध कराने लगे। उन्हें बेस्ट टीचर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिलेगा, इसके लिए उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था।
हालांकि इस पुरस्कार के लिए उन्होंने सरकार द्वारा मांगी गई औपचारिकताएं, जो उनके पास थीं, उन्हें पूरा जरूर किया। वाहे गुरु के आशीर्वाद से राज्य से उन्होंने ऑनलाइन पेपर जमा कराए, जिसमें राज्य से कुल तीन शिक्षकों में से उनका ही ऑनलाइन चयन हुआ। उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर इतने बड़े सम्मान के चयन के लिए गठित ज्यूरी ने देश के कुल 153 शिक्षकों में से जम्मू कश्मीर से मात्र उनका नाम चयनित किया। इस सम्मान के मिलने से सबसे ज्यादा खुशी उनके परिवार के सदस्य पत्नी एवं बच्चों को हुई और उन्हें भी गर्व महसूस हो रहा है। 

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