‘सोनिया ने 7 साल बाद मिलने का वक्त दे दिया, AK बुलाने को राजी नहीं’

आप की बागी विधायक अलका लांबा कल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलीं तो उनके कांग्रेस में जाने की चर्चाएं फिर से तेज हो गईं। कांग्रेस छोड़ने के सात साल बाद उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी की नेता से मिलने का वक्त मांगा और उन्हें मिल गया। वह कहती हैं कि करीब 8 महीने से अपने सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उन्हें अभी तक वक्त नहीं दिया गया। दो बार तो वह सीएम से मिलने उनके घर धरना भी दे आईं। वैसे, चर्चाओं में अब यह बात जुड़ रही है कि अलका अगर कांग्रेस में आई तो उन्हें दिल्ली में बड़ा पद मिल सकता है। हालांकि इसके बावजूद, चांदनी चौक विधानसभा में उनकी डगर आसान नहीं रहने वाली। 

7 साल बाद ‘दुनिया-जहान’ की बातें 
आप विधायक अलका लांबा ने कल दोपहर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। उनका कहना है कि करीब एक घंटे चली इस मुलाकात में पार्टी नेता से उन्होंने ‘दुनिया-जहान’ की बातें कीं। दिल्ली की राजनीति पर भी अपनी व्यथा कांग्रेस अध्यक्ष को सुनाई। यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस में शामिल होने जा रही है, उनका कहना था कि मैं तो सोनिया जी से शिष्टाचारवश मिलने गई थी। अब वो देखें कि कांग्रेस में मेरे लिए क्या जगह है। लेकिन यह सच्चाई है कि आम आदमी पार्टी में उनका दम घुट रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष से उन्होंने सात साल बाद दोबारा मिलने का वक्त मांगा था। खुशी की बात है कि उन्हें वक्त मिल गया। लेकिन दुख की बात यह कि वह अपनी पार्टी के नेता से नहीं मिल पा रहीं। 

आंखों ही आंखों में मुलाकात 
विधायक अलका का कहना है कि उनकी मुख्यमंत्री से पर्सनल खुन्नस थोड़ी है। वह तो अपने इलाके के विकास को लेकर उनसे मिलना चाहती थी, लेकिन मिलने का वक्त ही नहीं दिया गया। हालत इतने बदतर होने लगे कि मेरे इलाके में लगने वाले सीसीटीवी कैमरे भी रोक दिए गए। मैं सीएम से मिलना चाहती थी। लेकिन मेरी सुनवाई नहीं हुई। उप मुख्यमंत्री ने भी मिलने से परहेज किया। दिल्ली विधानसभा के हाल के सेशन में भी वह चाहती थी कि सीएम से एक बार मुलाकात हो जाए और गिले-शिकवों पर बात हो जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। गैलरी में एक बार उनसे मुलाकात हुई। मैंने उन्हें नमस्ते बोला और उन्होंने आंखों ही आंखों में मुस्कराकर जबाव दे दिया। मेरे लिए अब आप के दरवाजे लगातार बंद किए जा रहे हैं तो अब चारा ही क्या बचा है। 

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क्या बड़ा पद मिलेगा
 
डीयू की छात्र नेता रह चुकीं अलका लांबा तब चर्चा में आई थीं, जब सालों पहले कांग्रेस ने उन्हें मोती नगर विधानसभा में बीजेपी के कद्दावर नेता व पूर्व सीएम मदनलाल खुराना के खिलाफ उतारा था। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन वह नेता बन गईं। बाद में आम आदमी पार्टी की लहर ने उन्हें सहारा दिया। संभावना है कि अलका कांग्रेस में गई तो दिल्ली संगठन में उन्हें बड़ा पद मिलेगा। कारण यह कि दिल्ली कांग्रेस के पास मजबूत महिला नेता की कमी है। पर यह भी तय है कि अलका को अपने ही क्षेत्र चांदनी चौक में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। आप अब उन्हें वहां से टिकट नहीं देगी, दूसरी ओर कांग्रेस से टिकट मिलने में जद्दोजहद होगी, क्योंकि कांग्रेस के दो बड़े नेता जयप्रकाश अग्रवाल व प्रहलाद सिंह साहनी अपने-अपने बेटों के लिए विधानसभा का टिकट चाह रहे हैं। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी में तो चांदनी चौक से टिकट लेने के लिए कई नेता लाइन में लगे हुए हैं। 

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