पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला-गाड़ी की सुविधाएं मिलेंगी या नहीं? हाईकोर्ट का फैसला आज

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्रियों (Former Chief Ministers) को आजीवन सुविधा देने के मामले में हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) बुधवार को अपना फैसला सुना सकता है. मिलापचंद डांडिया और अन्य की याचिका पर जस्टिस प्रकाश गुप्ता इस मामले में फैसला सुनाने वाले हैं. 9 मई को मुख्‍य न्‍यायाधीश एस. रविन्द्र भट्ट की खंडपीठ ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था. याचिकाओं में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा देने के राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) के कानून को चुनौती दी गई थी. उत्तर प्रदेश में ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही विधेयक को अवैध ठहरा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी सुविधाओं को लेकर यूपी सरकार के विधेयक को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था. राजस्थान में वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया इस तरह की सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं.

पूर्व CM को सुविधाओं पर यह है कानून

प्रदेश सरकार ने राजस्थान मंत्री वेतन अधिनियम 1956 में संशोधन करके पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी सुविधाओं का हकदारी बनाया हुआ है. इन्हीं सुविधाओं को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब यूपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने के आदेश और सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के कानून को असंवैधानिक ठहराने के बाद अब राजस्थान में भी फैसला सरकार के खिलाफ आ सकता है.

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राज्य सरकार को ऐसा कानून बनाने का हक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया था कि राज्य सरकारों को इस तरह का कानून बनाने का कोई हक नहीं है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तर्ज पर प्रदेश में राजस्थान मंत्री वेतन अधिनियम 1956 में संशोधन को खारिज किया जा सकता है. प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी सुविधाओं का हकदारी बनाने के लिए राजस्थान मंत्री वेतन अधिनियम 1956 में संशोधन किया था.

पूर्व मुख्यमंत्रियों को ये सुविधाएं दी जाती हैं
♦ आजीवन सरकारी बंगला
♦ 10 लोगों को लिपकीय स्टॉफ
♦ 3 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी
♦ सरकारी गाड़ी चालक सहित
♦ राज्य व राज्य के बाहर भरपूर इस्तेमाल की छूट
♦ पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा उनका परिवार भी कर सकता है इस्तेमाल

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