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रांची : विधानसभा नियुक्ति घोटाले में सीडी ने खोले थे राज, नहीं हो सकी जांच

विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले को लेकर सामने आयी एक सीडी अहम कड़ी थी़ इस सीडी में विधानसभा अध्यक्ष रहे आलमगीर आलम के समय हुए नियुक्ति घोटाले के राज छिपे थे़  वर्ष 2008 में ही यह सीडी बाहर आयी़.
वर्तमान में मंत्री व तत्कालीन विधायक सरयू राय ने यह सीडी विधानसभा को सौंपी थी़  घोटाले की जांच करनेवाले विक्रमादित्य आयोग ने भी इसे महत्वपूर्ण साक्ष्य माना और इस सीडी की जांच के लिए हैदराबाद भी भेजा़  लेकिन इसकी सही तरीके से जांच नहीं हो पायी़  इसके बाद विक्रमादित्य ने राज्यपाल को सौंपी अपनी रिपोर्ट में इसकी सीबीआइ जांच कराने की अनुशंसा की थी.
इस सीडी की जांच फिलहाल ठंडे बस्ते में है़   इससे पहले जब सरयू राय ने यह सीडी विधानसभा को सौंपी थी, तब आलमगीर आलम ही स्पीकर थे़ उन्होंने इसकी जांच विधानसभा कमेटी से कराने का निर्देश दिया था़ विधानसभा की विशेष कमेटी भी कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पायी़  
सीडी से ही सामने आया था पैसे का खेल: दरअसल, इस घोटाले की जांच के दौरान आयोग को विधानसभा में हुई नियुक्ति और प्रोन्नति में अनियमितता के पर्याप्त व पुख्ता सबूत मिले थे़  लेकिन पैसे के लेनदेन को लेकर कोई प्रमाण नहीं मिला था़  यह सीडी ही घोटाले से जुड़ी अकेली चीज है, जो नियुक्ति-प्रोन्नति में पैसे का खेल सार्वजनिक कर सकती है. आयोग ने इसे सुलझाने की कोशिश की लेकिन तकनीकी बाधा के कारण तह तक नहीं पहुंच पाये़  
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कमेटी बना कर झाड़ लिया था पल्ला 
विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष आलमगीर आलम ने इस सीडी की जांच के लिए एक कमेटी बना कर पल्ला झाड़ लिया था़  तत्कालीन भाजपा विधायक सरयू राय ने यह सीडी  विधानसभा को उपलब्ध करायी थी. बाद में सीडी की जांच  के लिए विधानसभा की विशेष कमेटी बनायी गयी. 
राधाकृष्ण किशोर के संयोजन में  बनी इस कमेटी में चार तत्कालीन विधायक (चितरंजन यादव, रवींद्र नाथ महतो, रामचंद्र सिंह व सुखदेव भगत) बतौर  सदस्य शामिल थे. इस कमेटी ने यह लिखते हुए रिपोर्ट दे दी कि इसकी जांच किसी दूसरे एजेंसी से करा ले़ं कोई तथ्य नहीं दिये़  
सीडी में शमीम नामक शख्स का नाम आया था सामने आलमगीर आलम के विधानसभा अध्यक्ष रहते मो शमीम नामक शख्स की सक्रियता काफी बढ़ गयी थी. इस सीडी में इस शमीम का नाम सामने आया था़  आलमगीर आलम के समय 300 से ज्यादा पदों पर बहाली हुई थी़  सीडी में इस शख्स की आवाज है़  इसमें वह पैसे के लेन-देन को कबूल रहा है़ आयोग ने बुलाया, तो कंठ खराब होने का सर्टिफिकेट बनवा लिया.
 
मो शमीम नामक शख्स को विक्रमादित्य आयोग ने पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन उसने कंठ खराब होने की बात कह कर मेडिकल सर्टिफिकेट ही बनवा लिया़  पटना के पारस अस्पताल से वह सर्टिफिकेट लेकर आया था़  उसने आयोग से कहा कि वह कुछ बोल नहीं सकता है़  
 
लेकिन सच यह था कि वह बाहर खूब मजे से बात करता था़  बाद में इसके गले की जांच रिम्स में करायी गयी़  हालांकि, वह जांच नहीं कराना चाहता था़ इसके बाद चिकित्सकों ने जोर जबरदस्ती कर जांच की़  

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