मांगों पर बनी सहमति के बाद आखिरकार महापड़ाव हुआ समाप्त, बेनवाल ने कहा- मांगे नहीं मानी तो फिर करेंगे आंदोलन

नागौर के ताऊसर गांव में बंजारा समाज की ओर से पिछले तीन दिन से दिया जा रहा महापड़ाव आखिकार समाप्त हो गया है. महापड़ाव के दौरान राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के साथ हुई समझौता वार्ता के बाद सांसद हनुमान बेनीवाल ने महापड़ाव को समाप्त करने की घोषणा की. सर्किट हाउस में करीब तीन घंटे तक समझौता वार्ता चली, जिसके बाद दोनों ने मीडिया को बताया कि सभी मांगों पर सहमति बन गई है.

नागौर महापड़ाव हुआ समाप्त

सांसद बेनीवाल ने कहा कि वार्ता में विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच कर रहे अधिकारी को बदलने की मांग उन्होंने रखी, जिसमें अजमेर रेंज आईजी ने दूसरे अधिकारी से जांच कराने का आश्वासन दिया है. बेनीवाल ने कहा कि जिन बातों पर सहमति बनी है, उसके लिए सरकार को 15 दिन का समय दिया है. यदि 15 दिन में सरकार ने मांगें नहीं मानी तो दोबारा आंदोलन किया जाएगा. मीडिया से बातचीत के बाद सांसद बेनीवाल संभागीय आयुक्त एलएन मीणा व आईजी संजीव कुमार नार्जरी के साथ पशु प्रदर्शनी स्थल पहुंचे और महापड़ाव समाप्त करने की घोषणा की.
 
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बातचीत के बाद इन मांगें पर बनी सहमति

राजस्व मंत्री चौधरी ने बताया कि वार्ता के दौरान सभी पक्षों से बात करने के बाद बाद प्रमुख रूप से जिन बातों पर सहमति बनी, उसमें पहली यह है कि इस पूरे प्रकरण की अजमेर संभागीय आयुक्त एलएन मीणा जांच करेंगे. जांच में दो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. दूसरा यह कि चरागाह भूमि पर बसे अतिक्रमियों को कार्रवाई में जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए न्यूनतम 300 वर्ग गज तक जमीन आवास के लिए दी जाएगी. इसके साथ घर टूटने से जो नुकसान हुआ है, उसके लिए भी नियमानुसार सहयोग दिया जाएगा. इसके साथ नागौर सांसद और यहां के विधायकों ने अपने कोष से राशि देने की पहल की है.

बेनीवाल ने जांच अधिकारी की निष्पक्षता पर उठाया था सवाल
मंत्री हरीश चौधरी ने बताया कि मृतकों के परिवार को आर्थिक मदद दी जाएगी. साथ ही कहा कि नागौर एसडीएम के खिलाफ जो रिपोर्ट दी गई है, उसकी तीन दिन में जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी. विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच सीआईडी-सीबी के निष्पक्ष अधिकारी से करवाई जाएगी. बता दें कि वर्तमान जांच अधिकारी की निष्पक्षता पर सांसद हनुमान बेनीवाल ने संदेह जताया था. राजस्व मंत्री चौधरी ने बताया कि राज्य सरकार का शुरू से ही रुख रहा है कि गोचर के अंदर अज्ञानता या विवशता से जो भी लोग बैठे हैं, उनका पुनर्वास हो.  राजस्थान सरकार ने पूरे प्रदेश से ऐसे मामलों की रिपोर्ट मांगी है. नागौर का यह प्रकरण न्यायालय में लम्बित था, जिसमें हमने न्यायालय से समय मांगा था. इसमें जिला जिला प्रशासन ने कार्रवाई की. कार्रवाई के बाद जो विवाद उपजा, उसको लेकर चर्चा की गई.

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