प्रदेश कांग्रेस को फिर भी उम्मीद कि जल्द छटेंगे बादल

एक साल बाद बिहार विधानसभा का चुनाव होने वाला है. पर, अभी तक लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस नेताओं के दिये गये इस्तीफे स्वीकार नहीं किये गये हैं और न ही संगठन के पदाधिकारियों की सक्रियता दिख रही है. बावजूद इसके झारखंड में नेतृत्व परिवर्तन के बाद बिहार के कांग्रेसजनों को उम्मीद है कि जल्द ही आलाकमान की नजरें इधर घूमेगी और संगठन चुनाव की तैयारियों में जुट जायेगा. प्रदेश में कांग्रेस के 26 विधायक हैं. विधायकों की चिंता अगले साल होने वाले चुनाव में फिर से जीतने की है. पार्टी का एक तबका अकेले चुनाव में जाने पर जोर दे रहा. 
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वहीं अधिकतर विधायकों की राय है कि समान विचारधारा वाले दल के साथ तालमेल में चुनाव में जाने से पार्टी को अधिक लाभ होगा. ऐसी ही परिस्थितियों से घिरी  प्रदेश कांग्रेस लोकसभा चुनाव में हार व राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पैदा हुई हालात से बाहर निकलने की कोशिश में जुटी हुई है. राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी सचिव वीरेंद्र सिंह राठौर, कार्यकारी अध्यक्ष समीर कुमार सिंह सहित दर्जनों नेताओं ने अपने पदों से संबंधित त्यागपत्र आलाकमान के पास भेज दिया था. अभी तक उनका न तो इस्तीफा स्वीकार किया गया है और न ही संगठन पदाधिकारियों की सक्रियता दिखायी दे रही है.

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