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सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कहा, समाज के नेतृत्व का केंद्र बनें शिक्षण संस्थान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को समाज के नेतृत्व का केंद्र विंदु बनना होगा। इसके लिये उन्हें अपनी महती भूमिका समझनी होगी। औऱ यह तभी होगा जब यह संस्थाएं महज परंपरागत शिक्षण प्रणाली से इतर रचनात्मकता , नवाचार को स्थान देंगी। अपनी क्षेत्रीय सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक प्रकरणों की चर्चा, विमर्श करते हुए समाधान तक की राह सुझाएंगे। ऐसा आदर्श प्रस्तुत करें कि लोग अपनी समस्याओं के लिए इन संस्थाओं की ओर आशा भरी निगाहों से देखें। हमारा इतिहास साक्षी है कि यही शिक्षण संस्थान समाज की चेतना का केंद्र हुआ करते थे।
संस्‍थानों को समाजोपयोगी बनाने पर बल
सीएम शनिवार को दिग्विजय नाथ पीजी कॉलेज में स्थापना की 50वीं सालगिरह के अवसर पर आयोजित सात दिनी समारोह के समापन समारोह में अपने विचार रख रहे थे। मुख्यमंत्री ने महंत दिग्विजयनाथ द्वारा स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के स्थापना उद्देश्यों की चर्चा करते  डीवीएनपीजी कॉलेज दवाइया ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ के 125 वीं जन्म वर्ष और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के जन्मशती वर्ष को समारोह पूर्वक मनाये जाने पर  खुशी जताई। कहा कि हम अपनी शिक्षण संस्थाओं को कैसे समाजोपयोगी बनाएं इस पर विचार करना होगा।
समजकेन्द्रित हों पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रम सैद्धान्तिक न हों व्यवहारिक हों। रचनात्मकता हो, समजकेन्द्रित हों, तभी वह अपनी असली जिम्मेदारी निभा सकेंगे। योगी ने कहा है कि क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण स्थानीय शिक्षण संस्थाओं के साथ मिलकर विकास की कार्ययोजना तैयार करें। उन्होंने बताया कि, मैंने बुंदेलखंड, पूर्वांचल विकास बोर्डों को नाली खड़ंजा से ऊपर उठकर समग्र समन्वित विकास के लिए कार्ययोजना बनाने में स्थानीय शैक्षणिक संस्थानों से समन्वय बनाने का सुझाव दिया है। अब इसी तरह से काम हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरक्षपीठ सामाजिक सौहार्द और समरसता के उद्देश्य के साथ सतत प्रयत्न शील है, जो भी इस यात्रा का सहगामी है वह सौभाग्यशाली है, बधाई का पात्र है।
यूजीसी चेयरमैन ने कहा, आध्यात्मिक चेतना जागरण का केंद्र बने उत्तर प्रदेश।
समारोह के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन प्रो डीपी सिंह ने कहा है कि भारत की मूल चेतना आध्यत्मिक है। संतों ने हमेशा ही देश का मार्गदर्शन किया है। स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरबिंदो, महात्मा गांधी, महामना मालवीय जैसे मनीषियों ने आरम्भ में ही समग्र शिक्षा की अवधारणा दी थी। वास्तव में शिक्षा केवल 'ब्रेन पावर' को डेवलप करे वह पूरी नहीं, 'हर्ट पावर' को भी विकसित करे, वही असली शिक्षा है। प्रेम, सौहार्द, करुणा, अहिंसा जैसे भाव यही हर्ट पावर से ही पनपेगा। आज पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। योग का दर्शन आज पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है।
 

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