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यूपी में बीजेपी का ‘दिल मांगे मोर’, सूबे को विपक्षमुक्त करने का बनाया ये प्लान

उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) में बीजेपी (BJP) लोकसभा चुनाव परिणाम (Lok sabha election result) से संतुष्ट नही दिख रही है और वो प्रदेश को पूरी तरह विपक्षविहीन करना चाहती है. यही कारण है कि लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और डिंपल यादव को हराने के बाद अब बीजेपी की नज़र मुलायम के गढ़ मैनपुरी और कांग्रेस के गढ़ रायबरेली पर है और उसकी जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ ने अपने दोनों उपमुख्यमंत्रियों को सौंपी है.

लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश के अंदर बेहतरीन प्रदर्शन के बाद अब बीजेपी और आक्रामक नज़र आ रही है. अब पार्टी की निगाह अमेठी और कन्नौज पर कब्जा जमाने के बाद प्रदेश की दो अन्य हाइप्रोफाइल सीटों (रायबरेली और मैनपुरी) पर है. यही कारण है कि अब सोनिया गांधी को रायबरेली और मुलायम को मैनपुरी में घेरने का प्लान बीजेपी ने बना लिया है. इसकी जिम्मेदारी प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉ दिनेश शर्मा को दी गई है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलों के प्रभारी मंत्री की तैनाती में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को कानपुर नगर के साथ ही मैनपुरी की जिम्मेदारी भी सौंपी है. इसकी वजह वहां की जातीय गणित मानी जा रही है. दरअसल मैनपुरी में शाक्य, सैनी और कुशवाहा के अलावा पिछड़ों की संख्या भारी है. सपा के गढ़ में भाजपा का परचम फहराने के लिए जहां केशव पर दारोमदार है, वहीं दूसरी तरफ उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा का आगरा जिला बहाल रखते हुए उन्हें रायबरेली का भी प्रभार सौंपा गया है.

हालांकि ये आवंटन जिला योजना समिति की अध्यक्षता के लिए मंत्रियों को किए गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इससे सियासी समीकरण भी सधेगा. इस बार विकास के एजेंडे के साथ ही जातीय और क्षेत्रीय समीकरण भी साधे गए हैं. कद के हिसाब से भी जिम्मेदारी दी गई है. सियासी समीकरण साधने के साथ-साथ जातीय गणित भी साधने के काम इसके जरिये बीजेपी कर रही है. बीजेपी के इस दांव से परेशान विपक्ष मान रहा है कि बीजेपी चाहती है कि देश से विपक्ष पूरी तरह खत्म हो जाये. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी कहते हैं कि उसी के चलते महत्वपूर्ण सीटों पर भी बीजेपी लगातार ऐसी योजना बनाकर काम कर रही है.
जिस तरह से बीजेपी ने बड़े नेताओं की घेराबंदी की है उसने एक बार फिर से विपक्ष परेशान हो गया क्योंकि जिस तरह बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और डिंपल यादव को हराया उस से अब विपक्ष बीजेपी की रणनीति को हल्के में लेने के मूड में नहीं है. अब बीजेपी की ये घेराबंदी काम करेगी या नही इसका पता लगने में तो काफी वक्त है लेकिन फिलहाल विपक्ष की नींद तो एक बार फिर से उड़ ही गयी है.

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