कैबिनेट फैसला : उत्तराखंड में सरकारी अस्पतालों में इलाज महंगा

सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पर्चा और भर्ती शुल्क में बढ़ोतरी कर दी गई है। वहीं, जिन व्यक्तियों के पास अटल आयुष्मान कार्ड नहीं हैं, उन्हें इलाज के लिए और ज्यादा शुल्क देना होगा। कार्ड न होने पर ओपीडी फीस तीन गुना देनी होगी, जबकि भर्ती शुल्क आठ गुना तक बढ़ जाएगा। इसी तरह अल्ट्रासाउंड शुल्क 471 की जगह अब 700 रुपये तो मेडिकोलीगल फीस 237 के बजाय 250 रुपये कर दी गई है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में ये फैसले लिए गए। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि राज्य में दस साल बाद सरकारी अस्पतालों में इलाज की दरों को संशोधित किया गया है। सरकार ने राज्य के सभी लोगों को अटल आयुष्मान कार्ड पर पांच लाख रुपये तक निशुल्क इलाज की सुविधा दी है, जिन लोगों के पास अटल आयुष्मान कार्ड हैं उन्हें अस्पतालों में केवल ओपीडी और भर्ती होने का पैसा चुकाना है। उसके बाद उन्हें निशुल्क पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी जांच की सुविधा दी जाएगी।
जिन लोगों के पास अटल आयुष्मान कार्ड नहीं हैं उन्हें सरकारी अस्पतालों में इलाज काफी महंगा पड़ेगा। सरकार ने निशुल्क इलाज के लिए अटल आयुष्मान कार्ड की शर्त जोड़कर राज्य के बाहर के लोगों के लिए इलाज महंगा किया है।  इस दायरे में राज्य के वे लोग भी आएंगे जिन्होंने अभी तक आयुष्मान कार्ड नहीं बनाए हैं। ऐसे लोगों को कार्ड वाले मरीजों की तुलना में ओपीडी से लेकर भर्ती, जांच के बदले ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे।
सरकार ने प्राइवेट और पेइंग वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों को निशुल्क भोजन देने की व्यवस्था भी खत्म कर दी है। इन वार्डों में भर्ती होने वाले मरीजों को अब अस्पताल की ओर से मिलने वाले भोजन के लिए पैसे चुकाने होंगे। इसके लिए जल्द अस्पतालों की ओर से भोजन की दर तय की जाएगी।
सरकारी अस्पतालों से एम्बुलेंस लेने पर अब मरीजों को पांच किमी तक कोई पैसा नहीं चुकाना होगा। पांच किमी की दूरी तक लिए जाने वाले शुल्क को समाप्त कर दिया है। पांच किमी तक के लिए अभी तक दस रुपये प्रति किमी के हिसाब से शुल्क लिया जाता था। पांच किमी के बाद प्रति किमी बीस रुपये की दर से शुल्क चार्ज किया जाएगा। पहले भी पांच किमी के बाद प्रति किमी बीस रुपये चार्ज लिया जाता था।

सरकार ने पहाड़ के अस्पतालों को बड़ी राहत देते हुए बजट खर्च की इजाजत महानिदेशक को दी है। अस्पतालों को यूजर चार्ज के जरिए मिलने वाले बजट का पचास प्रतिशत अस्पताल पहले ही खुद खर्च करते थे। जबकि आधा पैसा सरकार के खाते में जाता था। सरकार के खाते में पचास प्रतिशत राशि देने की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। अब यह राशि स्वास्थ्य महानिदेशक के खाते में जमा की जाएगी। इस राशि को डीजी पर्वतीय क्षेत्रों के ऐसे अस्पतालों पर खर्च कर सकेंगे जो अपने लिए संसाधन नहीं जुटा पा रहे हैं। इससे पहाड़ के सुविधा विहीन अस्पतालों को फायदा होगा।

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