वाजपेयी की मूर्ति के बहाने रिज को बचाने की कवायद शुरु, नहीं तो मच जाती पूरे शहर में तबाही

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मूर्ति स्थापित करने के बहाने से रिज मैदान को भी अब मजबूती मिलेगी। जीयोलाजिकल रिपोर्ट के मुताबिक रिज के धंस रहे हिस्से के पास 13 मीटर खोदाई के बाद जमीन पक्की निकल सकती है।
रिज के धंस रहे हिस्से के पास डंगा लगाकर इसे धंसने से बचाया जाएगा। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति यहां पर स्थापित होगी। मंगलवार को लोक निर्माण विभाग के एसडीओ राकेश कुमार की अध्यक्षता में टीम ने रिज का निरीक्षण किया। रिज के धंस रहे हिस्से को बचाने की कवायद शुरू कर दी। लंबे समय रिज पर दरारें पड़ती जा रही हैं। इस वजह रिज एक तरफ से धंसता जा रहा है। नगर निगम
प्रशासन लीपापोती करके पल्ला झाड़ लेता है लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं ढूंढा जा रहा था। 22 अगस्त को रिज मैदान पर आयोजित अटल श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान सरकार ने निर्णय लिया कि रिज मैदान पर अटल बिहारी वाजपेयी की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
रिज मैदान पर मूर्ति स्थापित करने से पहले जगह का चयन किया गया। चयनित जगह पर रिज धंस रहा है। जीयोलाजिकल सर्वे करवाया गया तो इस स्थान पर जमीन सही निकली और डंगा लगाने का निर्णय लिया गया। डंगा लगाने से रिज को मजबूती मिलेगी और यह धंसने से बच जाएगा। रिज का एक हिस्सा तो करीब एक फीट तक धंस गया है। 2011 में भी रिज का एक हिस्सा गिर गया था। कई दुकानें भी क्षतिग्रस्त हुई थी, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम गंभीर नहीं हुआ।  हर साल की तरह इस साल भी स्थायी समाधान न करके लीपापोती की जा रही है। विभाग के अधीक्षण अभियंता एके सोनी ने बताया कि इसके लिए प्लान तैयार किया है। इस पर काम चल रहा है। 
रिज धंसा तो टैंक को भी खतरा
 
रिज मैदान के नीचे शिमला शहर को जल आपूर्ति करने वाला टैंक है। यदि रिज का यह हिस्सा धंस गया तो टैंक को भी खतरा हो सकता है। इससे समूचे शहर में तबाही मच सकती है। शिमला का पूरा नॉर्थ जोन बह सकता है।
पहली बार निकला स्थायी हल हर बार सीमेंट का मरहम इससे पहले भी रिज मैदान पर पड़ी दरारों को सीमेंट से भर कर खानापूर्ति की जाती रही है। निगम की इस औपचारिकता से ऐतिहासिक रिज मैदान खतरे में है। पहली बार धंस रहे हिस्से को सुरक्षित करने के लिए स्थाई हल निकाला गया है।

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