उत्तराखंड में प्लास्टिक कचरे से तैयार होने लगा है डीजल, केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने किया उद्घाटन

 वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) ने सालभर के भीतर दूसरी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पिछले साल 27 अगस्त को इसी संस्थान में जैट्रोफा से तैयार बायोजेट फ्यूल से विमान ने देहरादून से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी। इस बार इसी दिन मंगलवार को आइआइपी में प्लास्टिक कचरे से डीजल तैयार करने के प्रायोगिक संयंत्र का उद्घाटन केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक टन की क्षमता वाले इस संयंत्र से 1000 कुंतल प्लास्टिक कचरे से 850 लीटर डीजल तैयार होगा। छह माह के भीतर इसकी क्षमता 10 टन बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक वेस्ट को वेल्थ में बदलने वाले इस प्रयोग को बड़े स्तर पर दिल्ली में भी धरातल पर उतारा जाएगा।
आइआइपी परिसर में गैस ऑथोरिटी आफ इंडिया लि. (गेल) के आर्थिक सहयोग से प्लास्टिक कचरे से डीजल तैयार करने का प्रायोगिक संयंत्र स्थापित किया गया है। संयंत्र का उद्घाटन करने के बाद केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस उपलब्धि के लिए आइआइपी के वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने संयत्र के निरीक्षण के दौरान डीजल तैयार होने की प्रक्रिया को देखा और इसके बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि प्लास्टिक कचरे से मुक्ति की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है। इस संयत्र से वेस्ट मैटीरियल का डीजल के रूप में सदुपयोग हो सकेगा।
पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सालों के शोध के बाद आइआइपी अब प्लास्टिक कचरे से बड़े पैमाने पर डीजल के साथ ही अन्य पेट्रो उत्पादों का उत्पादन करने जा रहा है। इससे पेट्रोलियम पदार्थों को लेकर देश की अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी। 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया, जब पूरी दुनिया प्लास्टिक कचरे को लेकर चिंतित है। हमारे वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक वेस्ट को वेल्थ में तब्दील किया है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक से डीजल का निर्माण आर्थिक रूप से भी बेहतर है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक घरानों से भी वह अपील करेंगे कि प्लास्टिक वेस्ट को वेल्थ में बदलने के मद्देनजर वे आगे आएं और वैज्ञानिक प्रोजेक्टों को अपने हाथ में लें। उन्होंने इस दिशा में गेल कंपनी के सहयोग की भी सराहना की। 
 

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