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बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली का UP से था गहरा रिश्ता...

पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी (BJP) के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार को दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. बता दें, अरुण जेटली के लिए उत्तर प्रदेश अनजान नहीं था. छात्र जीवन के समय से ही उनका नाता उत्तर प्रदेश से जुड़ गया था. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में विकास के मामलों पर अरुण जेटली की राय जरूर ली जाती थी. वे वर्तमान समय में लखनऊ से राज्यसभा सदस्य थे. साथ ही उनका नोडल जिला रायबरेली था. उन्होंने प्रदेश में विद्यार्थी परिषद के लिए काफी काम किया. इससे पहले राजधानी लखनऊ में चुनाव प्रचार के लिए उनका आना-जान लगा रहता था. साल 2004-05 में वे भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रभारी भी बनाए गए थे.

राज्यपाल आनंदीबेन ने प्रकट की संवेदना

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने पूर्व वित्तमंत्री एवं उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य श्री अरूण जेटली के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है. राज्यपाल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि स्व0 अरूण जेटली एक कुशल अधिवक्ता एव राजनेता थे. उन्होंने अनेक भूमिकाओं में देश की सेवा की है. विधि एवं संसदीय परम्परा के उत्कृष्ट ज्ञान एवं अपनी विद्वता के कारण उन्होंने विशिष्ट पहचान बनाई थी. राज्यपाल ने कहा कि श्री जेटली के निधन से भारतीय राजनीति की अपूरणीय क्षति हुई है.

सीएम योगी ने जताया शोक
जेटली के निधन की सूचना मिलने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने शोक जताया. सीएम योगी ने ट्वीट करके कहा, तेजस्वी वक्ता, प्रखर अधिवक्ता, पूर्व वित्त मंत्री और अपने तर्क से सभी का दिल जीतने वाले अजातशत्रु, अरुण जेटली जी के असामयिक निधन से स्तब्ध हूँ. योगी आगे कहते हैं कि ईश्वर स्वर्गीय जेटली को मोक्ष दें और उनके परिजनों को दुख सहने की शक्ति दें. ॐ शांति:

दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर ली आखिरी सांस

आपको बता दें कि दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली. अरुण जेटली को कुछ दिन पहले ही सांस लेने में दिक्‍कत के कारण AIIMS में भर्ती कराया गया था. पिछले कुछ दिनों से उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही थी. बता दें कि जेटली काफी समय से एक के बाद एक बीमारी से लड़ रहे थे. इसी के चलते उन्‍होंने लोकसभा चुनाव, 2019 में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने का आग्रह किया था.पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी (BJP) के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार को दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. बता दें, अरुण जेटली के लिए उत्तर प्रदेश अनजान नहीं था. छात्र जीवन के समय से ही उनका नाता उत्तर प्रदेश से जुड़ गया था. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में विकास के मामलों पर अरुण जेटली की राय जरूर ली जाती थी. वे वर्तमान समय में लखनऊ से राज्यसभा सदस्य थे. साथ ही उनका नोडल जिला रायबरेली था. उन्होंने प्रदेश में विद्यार्थी परिषद के लिए काफी काम किया. इससे पहले राजधानी लखनऊ में चुनाव प्रचार के लिए उनका आना-जान लगा रहता था. साल 2004-05 में वे भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रभारी भी बनाए गए थे.

राज्यपाल आनंदीबेन ने प्रकट की संवेदना

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने पूर्व वित्तमंत्री एवं उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य श्री अरूण जेटली के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है. राज्यपाल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि स्व0 अरूण जेटली एक कुशल अधिवक्ता एव राजनेता थे. उन्होंने अनेक भूमिकाओं में देश की सेवा की है. विधि एवं संसदीय परम्परा के उत्कृष्ट ज्ञान एवं अपनी विद्वता के कारण उन्होंने विशिष्ट पहचान बनाई थी. राज्यपाल ने कहा कि श्री जेटली के निधन से भारतीय राजनीति की अपूरणीय क्षति हुई है.

सीएम योगी ने जताया शोक
जेटली के निधन की सूचना मिलने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने शोक जताया. सीएम योगी ने ट्वीट करके कहा, तेजस्वी वक्ता, प्रखर अधिवक्ता, पूर्व वित्त मंत्री और अपने तर्क से सभी का दिल जीतने वाले अजातशत्रु, अरुण जेटली जी के असामयिक निधन से स्तब्ध हूँ. योगी आगे कहते हैं कि ईश्वर स्वर्गीय जेटली को मोक्ष दें और उनके परिजनों को दुख सहने की शक्ति दें. ॐ शांति:

दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर ली आखिरी सांस

आपको बता दें कि दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली. अरुण जेटली को कुछ दिन पहले ही सांस लेने में दिक्‍कत के कारण AIIMS में भर्ती कराया गया था. पिछले कुछ दिनों से उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही थी. बता दें कि जेटली काफी समय से एक के बाद एक बीमारी से लड़ रहे थे. इसी के चलते उन्‍होंने लोकसभा चुनाव, 2019 में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने का आग्रह किया था.

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