तो नरम पड़े हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस में बदलाव का फैसला हाईकमान पर छोड़ चुनावी रण में उतरेंगे

'मैं बिना किसी दबाव के, तमाम बंधनों से मुक्त होकर, अपनी आत्मा की आवाज पर...आप लोगों के बीच आया हूं।' रोहतक की परिवर्तन महारैली के मंच से यह ऐलान करने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने संकेत दिए हैं कि हाल-फिलहाल वह कांग्रेस छोडऩे वाले नहीं हैं। हुड्डा ने अभी तक उस 25 सदस्यीय कमेटी का भी गठन नहीं किया, जिसका ऐलान उन्होंने रैली में किया था। इस कमेटी की सिफारिशों के आधार पर हुड्डा अपनी राजनीतिक दिशा तय करने वाले थे।
हुड्डा समर्थक विधायकों ने अपने नेता पर पिछले काफी समय से अलग पार्टी बनाने का दबाव बना रखा था। हुड्डा समर्थक चाहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस की बागडोर उनके नेता को मिले। ऐसा होता दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने हुड्डा को पार्टी छोडऩे के लिए तैयार कर लिया था। राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हुड्डा ने रोहतक रैली में कांग्रेस छोडऩे में किसी तरह की जल्दबाजी नहीं दिखाई और अपनी अगली रणनीति तय करने के लिए २५ सदस्यीय कमेटी गठित करने का ऐलान कर दिया।
इस कमेटी के गठन को हालांकि हुड्डा की प्रेशर पालिटिक्स से जोड़कर देखा गया, लेकिन विधानसभा चुनाव सिर पर देख हुड्डा और उनके समर्थकों के पास कोई दूसरा चारा भी नहीं था। अब वही हुड्डा समर्थक अपने नेता को पार्टी नहीं छोडऩे की सलाह दे रहे हैं। हुड्डा अगर पार्टी छोड़ देते हैं तो उनके विरोधियों के मंसूबे पूरे हो जाएंगे। इसलिए हुड्डा ने प्रदेश  कांग्रेस में बदलाव से जुड़ा कोई भी फैसला हाईकमान तथा उचित समय पर छोड़ दिया है। इसे हुड्डा की मजबूरी भी कहा जा सकता है और रणनीति भी।
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रोहतक की परिवर्तन महारैली में हालांकि हुड्डा ने न तो सोनिया गांधी के पोस्टर मंच पर लगाए थे और न ही राहुल गांधी की कोई फोटो चस्पा की थी। लेकिन, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के जयंती कार्यक्रम में हुड्डा नई दिल्ली में सोनिया, राहुल और प्रियंका के साथ बड़े अदब के साथ मिले। उनकी सोनिया व राहुल के सामने हाथ जोडऩे की मुद्रा में फोटो भी वायरल हुई। हालांकि यह राजीव गांधी के सम्मान का मामला है, लेकिन हुड्डा ने इस मुलाकात के जरिये यह संदेश देने की कोशिश की कि वे जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे।
हुड्डा ने बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ में 25 सदस्यीय कमेटी का ऐलान करना था, लेकिन पंचकूला की सीबीआइ कोर्ट में लंबी पेशी के कारण यह बैठक नहीं हो सकी। अगले दिन शुक्रवार के लिए भी किसी बैठक की कोई सूचना किसी विधायक को नहीं मिली। कुछ विधायक तो दिल्ली में स्व. राजीव गांधी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे तो कई अपने हलकों में रहे। कुछ विधायकों को अभी भी किसी बड़े बदलाव की उम्मीद है।
माना जा रहा कि हुड्डा अब प्रदेश अध्यक्ष का फैसला अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा से नहीं जोड़ेंगे और तेल व तेल की धार देखते हुए जल्द ही विधानसभा क्षेत्रों के दौरों की शुरुआत करेंगे। अगर हाईकमान अशोक तंवर को बदलकर हुड्डा अथवा उनकी पसंद को महत्व नहीं देता है तो जरूर कोई अगली रणनीति बनाई जा सकती है। अन्यथा हुड्डा कांग्रेस में ही बने रहने के मूड में दिखाई दे रहे हैं।

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