उत्‍तराखंड की माली हालत खराब, पूर्व मुख्यमंत्रियों पर मेहर

देश में विकास कार्यों के लिए महज 12.38 फीसद बजट है, जबकि गैर विकास मदों में खर्च 85 फीसद तक बढ़ चुका है। फिजूलखर्ची की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। खुद के आर्थिक मोर्चे की हालत ये है कि आमदनी बढ़ाने में दम फूल रहे हैं। केंद्र से मिलने वाली मदद और केंद्रपोषित योजनाओं पर ही राज्य के विकास का दारोमदार है तो ऐसे में अच्छी माली हालत वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुख-सुविधाओं पर मेहर बरसाने को सरकार के आतुर होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जनता की गाढ़ी कमाई से पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुख-सुविधाएं मुहैया कराने पर सख्त रुख अपना चुका है। बावजूद इसके सरकार को पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी खजाने से सस्ता आवास, ओएसडी या जनसंपर्क अधिकारी, मोटर-गाड़ी, टेलीफोन व सुरक्षा गार्ड जैसी तमाम सुविधाएं देने के लिए अध्यादेश का सहारा लेना पड़ रहा है। अहम बात ये है कि मौजूदा पूर्व मुख्यमंत्रियों में किसी की भी माली हालत खराब नहीं है। विभिन्न चुनावों के मौके पर आय और संपत्ति के बारे में दिए गए पूर्व मुख्यमंत्रियों के ब्योरे से ही इसकी तस्दीक हो जाती है। 
बजट के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते वित्तीय वर्ष 2018-19 की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में महंगाई भत्ते में 37.34 फीसद, यात्रा भत्ते पर 35 फीसद, कार्यालय खर्च पर 38 फीसद तो मोटर वाहनों के अनुरक्षण और पेट्रोल आदि की खरीद में करीब 110 फीसद वृद्धि हुई है। राज्य सरकार को फिजूलखर्ची को रोकने की चुनौती से जूझना पड़ रहा है। इसी वजह से राज्य में बड़े और छोटे निर्माण कार्यों के लिए वर्ष 2018-19 में मात्र 12.73 फीसद रह गई थी, जो चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में  महज 12.38 फीसद रह गई है। इन हालात में भी अच्छी माली हालत और बड़े सियासी रसूखदार पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं बहाल रखी जाती हैं तो इसका बुरा असर आम जनता की जेब और विकास कार्यों पर ही पडऩा तय है। 18 साल की अल्प अवधि में प्रदेश सात पूर्व मुख्यमंत्री देख चुका है।

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