कश्मीर घाटी में आगे भी अमन बनाए रखने के लिए सरकार ने बनाया यह प्लान

जम्मू-कश्मीर (Jammu And Kashmir) में नाकेबंदी और संचार ब्लैकआउट (Communications Blackout) धीरे-धीरे कम किया जा रहा है. इस महीने की शुरुआत में किए गए बदलावों के बाद किसी भी बुरे नतीजों से बचने के लिए सरकार ने व्यापक रणनीति अपनाई थी, जो अब सामान्य होती हुई दिख रही है. इस रणनीति के तहत राज्य के बड़े नेताओं को हिरासत में लिया गया, फोन और इंटरनेट लाइनों को प्रतिबंधित किया गया और कर्फ्यू लगाने जैसे फैसले लिए गए.

सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए राज्य में चार खास समूहों को संभालने की एक बेहद ही प्रभावशाली रणनीति तैयार की है. लोगों के पहले समूह को सरकार के अधिकारियों ने "मूवर्स एंड शेकर्स" करार दिया है. इसके तहत प्रदर्शनकारियों के बीच अपने लोगों को भेजकर खुफिया जानकारी हासिल करना शामिल है. ये लोग गुस्साई भीड़ में हिलमिल कर रहेंगे, किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.

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पहला समूह प्रदेश के नेताओं का
इस तरह के प्रदर्शन के पीछे हुर्रियत या मुख्यधारा के राजनेताओं का हाथ होता है. पहले समूह में इन्हीं नेताओं को शामिल किया गया है. सूत्रों के मुताबिक इन नेताओं को हिरासत से रिहा कर नजरबंदी में रखा जाएगा. क्योंकि सरकार के लिए ये हाउस अरेस्ट की नीति फिट बैठती है और ये नीति जारी रहेगी.

दूसरा समूह पत्थरबाजों का
दूसरा समूह पत्थरबाजों और हिंसक प्रदर्शनकारियों का है, जिनमें ज्यादातर नए लड़के हैं. इनके लिए सरकार ने 'कम्युनिटी बॉन्ड' की एक रणनीति बनाई है, जिसमें 20 परिवार के सदस्यों और परिचितों को एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराना शामिल है. इसके तहत वे सुनिश्चित करते हैं कि वे फिर से ऐसा नहीं करेंगे.

तीसरे समूह में आतंकियों का
तीसरे समूह में आतंकी हैं. प्रशासन को लगता है कि सेना सीमा और नियंत्रण रेखा पर ध्यान देगी, जहां से पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को घाटी में घुसपैठ कराया जाता है. सरकार पंजाब और जम्मू में सीमा सुरक्षा की समीक्षा करने की भी योजना बना रही है.

चौथा समूह मजहबी नेताओं का
लोगों का चौथा समूह धार्मिक नेताओं जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों का हैं. सूत्रों का कहना है कि सरकार उन धार्मिक नेताओं की पहचान करेगी और उन पर नज़र रखेगी, जिन्हें हिंसा भड़काने और अशांति फैलाते हुए देखा जाता है. अधिकारी ऐसे किसी भी व्यक्ति के साथ कठोरता से के साथ पेश आएंगे, और उन्हें फौरन गिरफ्तार करेंगे.

जम्मू-कश्मीर अब दो हफ्ते से ज्यादा समय से इस स्थिति में है. जबसे सरकार ने पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को बाहर निकालना शुरू कर दिया था और पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित लगभग 400 राजनीतिक नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया था. कुछ प्रतिबंधों में ढील दी गई और शनिवार को कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों में 50,000 से अधिक लैंडलाइन फोन कनेक्शन बहाल कर दिए गए हैं. जम्मू और कश्मीर पुलिस ने कहा कि घाटी के कुछ हिस्सों में बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगाने के आदेशों में ढील दी गई है. हालांकि प्रदेश में भारी सुरक्षा की स्थिति बनी रहेगी.

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