बुरी फंसी IIT, मंत्री जी का फरमान- साबित करें वैज्ञानिक भाषा है संस्कृत

देश के प्रमुख संस्थान आईआईटी और एनआईटी के सामने अब एक नया टास्क है. उन्हें साबित करना है कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शनिवार को यह टास्क आईआईटी और एनआईटी के डायरेक्टर्स और चेयरमैन को दिया है कि वे साबित करें कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है. IGNOU में आयोजित ज्ञानोत्सव 2076 समारोह में मंत्री ने कहा, “हम संस्कृत की काबिलियत सिद्ध नहीं कर पाए, इसीलिए हम पर सवाल उठाए जाते हैं. मैं आईआईटी और एनआईटी के कुलपतियों और कुलाधिपतियों से आग्रह करता हूं कि हमें इसे साबित करना चाहिए.”
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उन्होंने आलोचकों को चुनौती देते हुए कहा कि वे उन्हें बताएं कि संस्कृत से ज्यादा वैज्ञानिक भाषा कौन-सी है. उन्होंने कहा, “नासा ने इस बात को स्वीकार किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसमें शब्द उसी तरह लिखे जाते हैं, जिस तरह बोले जाते हैं. अगर बोलने वाले कंप्यूटर की बात करें तो संस्कृत उनके लिए ज्यादा उपयोगी होगी. अगर नासा संस्कृत को ज्यादा वैज्ञानिक भाषा मान सकती है तो आपको क्या दिक्कत है?”
उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है. अगर आप संस्कृत से पुरानी किसी भाषा के बारे में जानते हैं तो हमें बताएं. केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि हिंदू ग्रंथों में ग्रेविटेशनल फोर्स की चर्चा इसाक न्यूटन से हजारों वर्ष पहले की गई है. मंत्री ने यह भी दावा किया कि ऋषि प्रणव ने सबसे पहले एटम और मॉलीक्यूल का आविष्कार किया. सबसे रोचक बात यह है कि मंत्री ने आईआईटी-बंबई में दावा किया था कि चरक ऋषि ने सबसे पहले एटम और मॉलीक्यूल की खोज की थी.

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