भारत की बढ़ती आबादी पर PM मोदी ने जताई चिंता, समझें कितनी बड़ी है समस्या

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से जनसंख्या विस्फोट के मुद्दे को उठाया। उन्होंने छोटा परिवार रखने वाले लोगों की तारीफ करते हुए कहा कि यह भी देशभक्ति है। प्रधानमंत्री ने बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए नई चुनौतियां पेश करता है। इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कदम उठाने चाहिए। ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण है कि आखिर यह चिंता कितनी बड़ी है? समझा जा रहा है कि भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन को पीछे छोड़ देगा। हालांकि संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि स्थिर है और भविष्य में देश की आबादी की रफ्तार घटने लगेगी। 

भारत की प्रजनन दर घटी 
दुनिया में प्रजनन दर 2.1 को रिप्लेसमेंट रेट माना जा रहा है। इसका मतलब यह है कि जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए औसतन एक महिला 2.1 बच्चे पैदा करेगी। वहीं, भारत की बात करें तो प्रजनन दर लगातार घट रही है और इस समय यह 2.2% है। आगे के दशकों में इसके 2 से भी कम होने की संभावना है। 
2060 में पीक पर होगी हमारी आबादी 
अगले कुछ वर्षों में भारत की आबादी चीन से आगे निकल सकती है। 2060 में 1.65 अरब के साथ भारत की आबादी पीक पर होगी। UN के अनुमानों के अनुसार भारत की जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार आगे घटने लगेगी। वहीं, अफ्रीका में इस पूरी सदी में आबादी की रफ्तार बढ़ती रहेगी और वह 2060 के दशक में 3 अरब के आंकड़े को पार कर जाएगी। 
बिहार में क्या होगा? 
2011 की जनगणना के अनुसार, 11 राज्य ऐसे हैं, जहां प्रजनन दर 2.1 से ज्यादा है। इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉप्युलेशन साइंसेज (IIPS) के अनुमान के मुताबिक 2031 तक बिहार समेत सभी बड़े राज्यों में रिप्लेसमेंट से फर्टिलटी रेट कम होगी। हाल के आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि अगले दो दशकों में लगातार घटेगी। 2021-31 के दौरान 1% जबकि 2031-41 के दौरान इसके 0.5% सालाना तक घटने की संभावना है। ज्यादातर राज्यों को लेकर अनुमान जताया गया है कि 2021 तक प्रजनन दर रिप्लेसमेंट लेवल से कम होगी और आगे आबादी केवल जीवन प्रत्याशा के लगातार बढ़ने के कारण बढ़ेगी। 
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मुसलमानों में भी प्रजनन दर घटी 
धार्मिक आधार पर अगर हम आंकड़ों को देखें तो सभी धर्मों में प्रजनन दर में गिरावट देखी जा रही है। 2005-06 और 2015-16 के बीच के कालखंड को देखें तो हिंदुओं में प्रजनन दर 17.8%, मुसलमानों में 22.9%, ईसाइयों में 15%, सिखों में 19%, बौद्धों में 22.7%, जैनियों में 22.1% की गिरावट देखी गई है। ऐसा देखा गया है कि शिक्षा का स्तर जितना बढ़ता है, प्रजनन दर उतना ही घटता है। भारत में खुशहाल जैन समुदाय की प्रजनन दर सबसे कम है। 

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