ई-पॉश मशीन नहीं लेती अंगूठे का निशान, राशन न मिलने से लोग परेशान

वाराणसी: ‘जब से ऑनलाइन राशन कार्ड का फॉर्म भरा जा रहा है तब से तीन-चार बार फॉर्म भर चुके हैं लेकिन अभी तक राशन कार्ड नहीं बना है. मेरे तीन बच्चे हैं, पति नहीं हैं, किसी तरह दुकान लगाकर, अपने बच्चों का पेट पालती हूं, उसी में से उन्हें पढ़ाती-लिखाती हूं. राशन कार्ड बन जाता तो कुछ राशन मिलने लग जाता, जिससे मेरी गृहस्थी में कुछ आराम हो जाता.’
ये कहना है वाराणसी जिले के रानीबाजार की सुवैदा निशा का. सुवैदा करीब 40 साल की हैं और वो कॉस्मेटिक सामान का दुकान लगाती हैं. सुवैदा के पति नहीं है. अपने तीन बच्चों के साथ वे जैसे-तैसे अपनी गुजर-बसर कर रही हैं. राशन कार्ड नहीं होने की वजह से उन्हें कोटे पर से राशन नहीं मिल रहा है.
सुवैदा बताती हैं, ‘जब ई-पॉश मशीन से राशन नहीं मिलता था तो मुझे भी राशन मिलता था, लेकिन जबसे ये मशीन वाला सिस्टम आया है तबसे कोटे का एक दाना मिलना भी मुश्किल हो गया है. करीब छह महीने से चक्कर लगा रहे हैं लेकिन राशन कार्ड बन ही नहीं पा रहा है.’
मालूम हो कि प्रदेश के सभी 75 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कोटे की दुकानों पर ई-पॉश मशीन लगाने के लिए दो कंपनियों से करार हुआ है. करार के मुताबिक 26 जिलों में आर्मी और ओसीएस एजेंसी को प्रदेश के 46 जिलों में मशीन मुहैया करवाने से लेकर कार्डधारकों का ब्योरा कोटे की दुकान के हिसाब से मशीन में फीड करने की जिम्मेंदारी सौंपी गई है.
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राशन वितरण का काम पूरी तरह ई-पॉश मशीनों से करने के निर्देश दिए हैं.
राजातालाब में जूते-चप्पलों की दुकान पर काम करने वाले जमालुद्दीन शेख को भी इसी तरह की मुश्किल से दो-चार होना पड़ा. वे बताते हैं, ‘सात महीने पहले तक हमें राशन मिलता था लेकिन उसके बाद फिर ये कहा गया कि राशन कार्ड बदला जा रहा है. हम भी दो-तीन फॉर्म का फोटोकॉपी लाकर फॉर्म भरे. कई बार प्रधान को दिए, प्रधान बोले कि कोटेदार को दो, जब कोटेदार को दिए तो वो यही बोला कि हम अपनी तरफ से भेज दिए हैं लेकिन अभी तक हुआ नहीं है. फिर ये कहा गया गया कि अभी चुनाव हो रहा है उसके बाद होगा.’
जमालुद्दीन बताते हैं, ‘जब हम सभी जगह से मेहनत करके थक गए तो जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की, वहां शिकायत करने के बाद मेरा राशन कार्ड बन गया है, मेरे घर के सभी लोगों का नाम भी उस पर चढ़ गया है लेकिन अब तक राशन नहीं मिल रहा है, ऐसा कहा जा रहा है कि तीन महीने के बाद राशन मिलेगा.’
मूल रूप से कचनार गांव के रहने वाले जमालुद्दीन के परिवार में कुल छह सदस्य हैं, जिसमें से चार बच्चे पढ़ाई करते हैं. वे अपने घर में अकेले कमाने वाले हैं.
वे बताते हैं, ‘हम अपने सभी बच्चों को पढ़ा रहे रहे हैं. इतनी महंगाई के जमाने में एक अकेले इंसान के लिए कमाकर बच्चों को पढ़ाना और उनका पेट पालना कितना मुश्किल है. अगर राशन मिलने लग जाता तो कुछ मदद हो जाती.’
ऐसा ही कुछ कहना है मालढुलाई का काम करने वाले चंदापुर गांव के उस्मान का. उस्मान बताते हैं, ‘मेरी पांच बेटियां और एक बेटा है, सभी पढ़ाई करते हैं. राशन कार्ड के लिए कई महीने तक लोगों के चक्कर लगाता रहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. जब हमने जनसुनवाई पोर्टल पर आत्महत्या की धमकी दी, तब हमारा राशन कार्ड तो बन गया है लेकिन अब तक उस पर न परिवार के सभी लोगों के नाम चढ़े और न ही राशन मिल रहा है.’
राशन तीन महीने बाद ही क्यों मिलेगा? सप्लाई इंस्पेक्टर श्याम मोहन बताते हैं, ‘हमारे हाथ में तो कुछ है नहीं है. सब कुछ बायोमेट्रिक हो गया है, जब पब्लिक डोमेन से जनरेट होता है उसके बाद ही राशन मिलता है. ये प्रोसेस होने में करीब तीन महीने का समय लग जाता है.’
राशन कार्ड के बारे में श्याम मोहन का कहना है, ‘जिन लोगों का राशन कार्ड नहीं बना है वो सेक्रेटरी से प्रमाणित करवा लें कि वो कौन से गांव के मूल निवासी हैं. उसके बाद फॉर्म भरकर जमा करे दें. राशन कार्ड बन जाएगा.’
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के मुताबिक राज्य के सभी 13.50 करोड़ से अधिक राशन कार्ड लाभार्थियों को सही मूल्य और सही मात्रा में अनाज वितरण कराया जा रहा है. कहा जा रहा है कि वितरण प्रणाली कम्प्यूटरीकृत कर पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाया गया है.
वर्तमान समय में करीब अस्सी हजार से ज्यादा ई-पॉश मशीनों के जरिये राज्य भर में अनाज का वितरण हो रहा है. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 68,848 और शहरी क्षेत्रों में 11,649 ई-पॉश मशीनें लगाई गई हैं.
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वाराणसी जिले के परसुपुर गांव में एक छोटी-सी झोपड़ी में रहने वाले शिवनाथ करीब साठ साल के हैं और लोहे की तार बनाने का काम करते हैं. ये तारें खिड़की में लगने वाली जाली बनाने में काम आती हैं. शिवनाथ बताते हैं, ‘घर में हम कुल पांच लोग हैं, लेकिन राशन केवल तीन लोगों को ही मिलता है. कितनी बार शिकायत किए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.’
रुंधे गले से वे आगे बताते हैं, ‘हम पढ़े-लिखे लोग नहीं हैं कि किसी सरकारी अधिकारी के यहां चले जाएं. पूरी ज़िंदगी भर ऐसे ही राशन मिल रहा था लेकिन अब ये पता नहीं कैसा मशीन आया है कि हमें कम राशन मिलने लगा.’
प्रदेश में राशन की लगातार हो रही चोरी को कम करने के लिए सराकर ने ई-पॉश मशीन द्वारा लोगों को राशन वितरण करने का तरीका अपनाया है, इस तरीके से चोरी भले ही कम हो गई हो, लेकिन गरीब ज्यादा परेशान होने लगे हैं.
इस नये तरीके से से राशन मिलने से मजदूर ज्यादा परेशान हैं. मनरेगा में काम करने वाले कुछ मजदूर ऐसे हैं जिनके अंगूठे का निशान ई-पॉश मशीन नहीं ले रही  है.
अनिल कुमार मजदूरी करते हैं. वे बताते हैं, ‘जब भी राशन लेने जाते हैं कभी या तो अंगूठा नहीं लेता है, कभी सर्वर काम नहीं करता है. किसी एक का अंगूठा नहीं लेता है तो घर के दूसरे लोगों को बुलाना पड़ता है. कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि मशीन घर के छह सदस्य में से किसी के भी अंगूठे का निशान नहीं लेता है. हालांकि सरकार ने ऐसे में आधार कार्ड से राशन देने का नियम बनाया है, लेकिन उसमें भी कई बार हमें नहीं मिलता है.
इस बारे में पूछने पर सप्लाई इंस्पेक्टर श्याम मोहन बताते हैं, ‘आधार कार्ड से राशन देने का नियम तो है लेकिन हमारे ऊपर दबाव होता है कि बिना ई-पॉश मशीन के गल्ला मत दीजिए. जब आधार से दिया जाता है तो कोटेदार चोरी करते हैं. हालांकि हमने कहा है कि जो लोग पात्र हैं उन्हें राशन मिलनी चाहिए.’
राशन कार्ड के बारे में जिलापूर्ति अधिकारी दीपक कुमार वाष्णेय बताते है कि, ‘सारा सिस्टम ऑनलाइन है. सब कुछ ऑनलाइन दिखता है. राशन देने के लिए हमें दो महीने बैक का आवंटन मिलता है. हमें जब तक आवंटन नहीं मिलता तब तक हम राशन देने के लिए सक्षम नहीं हो पाते हैं.’
मजदूरों को ई-पॉश मशीन में अंगूठा नहीं लेने से हो रही दिक्कत के बारे में दीपक कुमार वाष्णेय कहते हैं कि, ‘ऐसे लोगों को उनके आधार नंबर के आधार पर 23 से 25 तारीख के बीच राशन दिया जाता है. अगर कोई भी कोटेदार राशन देने में आनाकानी करें तो उन्हें तुरंत शिकायत करनी चाहिए. अगर कोई भी ऐसा शख्स है जिनका अंगूठा नहीं लग रहा है तो उन्हें भी राशन मिलेगा, उसे राशन से वंचित नहीं किया जाएगा.’

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