कश्मीर पर 'लाल-पीला' पाक अब हुआ काला, दिखाया जिहाद का डर

पाकिस्तान को कश्मीर पर जैसे-जैसे एक के बाद एक दुनिया के तमाम देशों से मायूसी मिल रही है, वैसे-वैसे उसकी बौखलाहट बढ़ रही है। तमाम कोशिशों के बाद भी चीन और तुर्की के सिवा किसी भी ताकतवर देश से तवज्जो न मिलती देख पाकिस्तान अब दुनिया को डराने का अपना पुराना हथकंडा अपनाने लगा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को कहा कि अगर विश्व बिरादरी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो दुनियाभर के मुसलामनों में कट्टरता बढ़ेगी और हिंसा का दौर चल पड़ेगा। 
पाक पीएम की दुनिया को धमकी 
आर्टिकल 370 हटाने की घोषणा के बाद से ही बौखलाए पाक पीएम ने ट्वीट कर कहा, 'क्या दुनिया चुपचाप कश्मीर में मुसलमानों का एक और स्रेब्रेनिका जैसा नरसंहार और नस्लीय सफाया देखती रहेगी?' इमरान ने अपने अगले ट्वीट में दुनिया को जिहाद का डर दिखाते हुए कहा, 'मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेतावनी देना चाहता हूं कि अगर यह होने दिया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। इसकी प्रतिक्रिया में मुस्लिम दुनिया में कट्टरता बढ़ेगी और हिंसा का चक्र चलने लगेगा।' 
प्रॉपगैंडा फैलाने से बाज नहीं आ रहे इमरान 
भारत ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के आर्टिकल 370 को हटा दिया और सूबे को दो टुकड़ों में बांटते हुए उन्हें केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर दिया। पाकिस्तान इस फैसले के बाद से बौखलाया हुआ है और लगातार भारत के खिलाफ प्रॉपगैंडा करने में जुटा है। इसी सिलसिले को बढ़ाते हुए पाक पीएम ने ट्वीट किया, 'कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच 12 दिनों से कर्फ्यू लगा है। वहां संचार व्यवस्था बिल्कुल ठप है।' 
इमरान ने डीपी को किया काला 
अपने 'सदाबहार' मित्र चीन के हांगकांग शहर में चल रहे व्‍यापक विरोध प्रदर्शनों पर एक शब्‍द नहीं होने वाले इमरान खान अपने प्रॉपगैंडा को आगे बढ़ाते हुए भारत के स्‍वतंत्रता दिवस को 'काला दिवस' के रूप में मना रहे हैं। उन्‍होंने ट्विटर पर अपनी डीपी को काला कर लिया है। इमरान ही नहीं पाकिस्‍तान के सभी सरकारी संगठनों और नेताओं ने अपनी डीपी को काला कर लिया है। 

सेब्रेनिका नरसंहार क्या है? 
इमरान जिस स्रेब्रेनिका नरसंहार की बात कर रहे हैं, उसमें सात हजार बोस्नियाई मुसलमान मारे गए थे। जुलाई 1995 मे हुई इस घटना में बोस्नियाई सर्ब सुरक्षा बलों द्वारा पूर्वी बोस्निया और हर्जेगोविना के शहर स्रेब्रेनिका में की गई कार्रवाई में 20 हजार आम नागरिकों को इलाका छोड़कर भागना पड़ा था। यह यूरोप में दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा नरसंहार के रूप में देखा जाता है। 

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