देववाणी संस्कृत ने देश को जोड़ने का काम किया : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि देववाणी संस्कृत ऐसी प्यारी भाषा है जिसने सदियों से देश को जोड़ने का काम किया है। ऐसे समय में जबकि देश में तनाव बढ़ रहा है और विश्वास में कमी आ रही है, संस्कृत ऐसी सशक्त भाषा है जो विघटनकारी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देकर आपसी सदभाव को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है। उन्होंने संस्कृत के विद्वानों का आह्वान किया कि वे सभी धर्मों का सम्मान सिखाने वाली इस भाषा में निहित संदेश को पुरजोर तरीके से आमजन तक पहुंचाएं।
गहलोत बुधवार को रविन्द्र मंच सभागार में संस्कृत दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय विद्वत्सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है कि स्कूल के दिनों में संस्कृत के अध्ययन में उनकी रूचि नहीं थी लेकिन छात्र जीवन में संस्कृत से जी चुराने वाला यह व्यक्ति जब मुख्यमंत्री बना तो संस्कृत का प्रेमी बन गया।

संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने में नहीं रखेंगे कोई कमी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने में कोई कमी नहीं रखेगी। उन्होंने कहा कि पं. नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी की सरकारों के समय संस्कृत के विस्तार के सर्वाधिक प्रयास किए गए। राजस्थान पहला ऐसा राज्य था जहां 1958 में संस्कृत निदेशालय की स्थापना की गई। आयुर्वेद तथा संस्कृत के अन्तरसंबंध को देखते हुए हमने जोधपुर में आजादी के बाद के देश के पहले आयुर्वेद विश्वविद्यालय तथा जयपुर में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की।

संस्कृत है वैज्ञानिक दृष्टि से प्रामाणिक भाषा
गहलोत ने कहा कि हमारी संस्कृति एवं संस्कारों की नींव संस्कृत से ही है। संस्कृत के श्लोक हमें एक-दूसरे का आदर एवं सम्मान करना सिखाते हैं। यह वैज्ञानिक दृष्टि से भी प्रामाणिक भाषा है जिसे दुनिया की कई भाषाओं की जननी होने का गौरव प्राप्त है। यह एक ज्ञानवर्द्धक, व्यवहार कुशल, वैज्ञानिक, संदेशपरक और सद्भाव बढ़ाने वाली भाषा है, जिस पर प्रत्येक देशवासी को गर्व है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि आदिवासी क्षेत्रों से भी विद्यार्थी संस्कृत के अध्ययन में रूचि दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत को रोजगारपरक विषय बनाने के लिए विद्वानजन अपने सुझाव दें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी जाति, धर्म और लिंग के नाम पर होने वाला भेदभाव मानवता पर कलंक है। सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन वैज्ञानिक सोच के साथ इन बुराइयों को दूर करने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि माॅब लिंचिंग तथा ऑनर किलिंग के खिलाफ ऐसे संगठनों को आवाज बुलन्द करनी चाहिए। राज्य सरकार ने इनके खिलाफ कठोर कानून बनाए हैं। संस्कृत शिक्षा राज्य मंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग ने कहा कि प्रदेश में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार ने वैदिक शिक्षा एवं संस्कार बोर्ड के गठन की घोषणा की है और इसके लिए विद्वानों की एक कमेटी भी गठित कर दी है। उन्होंने कहा कि पं. जवाहर लाल नेहरू ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में प्रथम संस्कृत शिक्षा आयोग का गठन किया था और उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने द्वितीय संस्कृत शिक्षा आयोग का गठन किया।

शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि संस्कृत शिक्षा के शिक्षण संस्थानों को भी अब सामान्य शिक्षण संस्थानों की भांति जनसहभागिता योजना से जोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के सम्मान के लिए हमारी सरकार संकल्पित है। इसी उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष ब्लाॅक, जिला एवं राज्यस्तर पर 1101 शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। इसमें संस्कृत शिक्षा के शिक्षक भी शामिल होंगे। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इस साल बजट में 48 नए राजकीय महाविद्यालय खोलने की घोषणा की गई है। इसमें 10 बालिका महाविद्यालय हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा है जो प्राचीन संस्कृति से आधुनिक संस्कृति को जोड़ती है।

समारोह को जगद्गुरू रामानंदाचार्य विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो. आर. के. कोठारी, संस्कृत शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव आर. वेंकटेश्वरन ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर विधायक रफीक खान एवं अमीन कागजी, पूर्व संस्कृत शिक्षा मंत्री बृजकिशोर शर्मा, उच्च शिक्षा आयुक्त प्रदीप बोरड़ तथा संस्कृत शिक्षा निदेशक हरजीलाल अटल सहित बड़ी संख्या में संस्कृत के विद्वान एवं अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।

समारोह में मुख्यमंत्री ने महाराजा आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, जयपुर की गांधी दर्शन पर आधारित पत्रिका ‘श्रावणी‘ एवं ‘वैजयन्ती‘ का विमोचन किया। उन्होंने इस अवसर पर संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने पर आशुकवि पं. रामस्वरूप दोतोलिया को संस्कृत साधना शिखर सम्मान, डाॅ. हुकुम चंद भारिल्ल तथा जुम्मा खान शास्त्री को संस्कृत साधना सम्मान, डाॅ. जयप्रकाश मिश्र, डाॅ. जितेन्द्र अग्रवाल, दीनदयाल शर्मा, नरोत्तम लाल शर्मा, प्रो. माणिक्य लाल शास्त्री तथा डाॅ. शीला चैबीसा को संस्कृत विद्वत्सम्मान से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने संस्कृत की युवा प्रतिभाओं तथा मेधावी छात्र-छात्राओं को भी समारोह में सम्मानित किया।

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