आजादी: क्यों चुनी गई 15 अगस्त की तारीख

भारत अपनी आजादी की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को अंग्रेजों से भारत को आजादी मिली थी। इस दिन से पहले 15 अगस्त की तारीख का भारत के इतिहास में कोई विशेष महत्व नहीं था। ऐसे में अकसर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आजादी के लिए यही तारीख क्यों चुनी गई? असल में आजादी की यह तारीख भी स्वयं भारत ने नहीं चुनी थी। अंग्रेजों ने भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त का दिन चुना था। इसकी वजह यह थी कि इसी दिन दो साल पहले यानी 15 अगस्त, 1945 को जापान की सेना ने आत्मसमर्पण किया था। इसके साथ ही एक तरह से दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति भी हुई थी। 

भारत की आजादी पर लिखी गई पुस्तक 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने बताया था, 'मैंने यह तय कर लिया था कि इस पूरे घटनाक्रम को मैं ही तय करूंगा। ब्रिटेन से जब हमारे पास आजादी को लेकर आदेश आया तो हमें तारीख तय करनी थी। यह तारीख लंबी नहीं हो सकती थी। हमने इस पर पहले से कुछ सोचा नहीं था। हमने यह सोचा कि सितंबर या फिर अगस्त की तारीख तय की जाए। इसके बाद हमने 15 अगस्त तारीख को भारत को आजाद करने का फैसला लिया। इसलिए क्योंकि यह जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी।' 
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ब्रिटिश सांसद ने तय की थी 30 जून, 1948 की डेडलाइन 
ब्रिटिश संसद की ओर से लॉर्ड माउंटबेटन को भारत की स्वतंत्रता के लिए 30 जून, 1948 तक की तारीख दी गई थी। भारत के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने कहा था कि यदि अंग्रेज जून, 1948 तक का इंतजार करते तो उनके पास को ट्रांसफर करने के लिए कोई पावर ही न बचती। इसके चलते माउंटबेटन ने अगस्त, 1947 में ही भारत की आजादी का फैसला लिया। 
माउंटबेटन ने कहा था, ब्रिटिश शासन जहां समाप्त हुआ, वहां हिंसा 
माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख कुछ पहले ही तय करने की वजह बताते हुए कहा था कि उन्हें लगता था कि इस प्रक्रिया के दौरान किसी तरह का दंगा या खूनखराबा न हो। हालांकि भारी हिंसा हुई थी और इस पर माउंटबेटन ने अजीब सफाई देते हुए कहा था कि जहां भी औपनिवेशक शासन समाप्त हुआ, वहां हिंसा शुरू हो गई।

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