अनुच्छेद 370: विपक्ष में पड़ी फूट, बीजेपी को होगा फ़ायदा!

अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में विपक्ष आख़िर क्यों बिखर गया, इस सवाल का जवाब विपक्षी राजनीतिक दलों के पास भी नहीं है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में तो उसके वरिष्ठ और युवा नेताओं ने खुलकर मोदी सरकार के फ़ैसले के समर्थन में आवाज़ बुलंद की ही लेकिन बीएसपी, एसपी, तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू सहित कई अन्य दलों में भी इस मुद्दे पर फूट साफ़ दिखाई दी।
बात शुरू करते हैं कांग्रेस से। कांग्रेस के भीतर इस मुद्दे को लेकर शुरू से ही अलग-अलग सुर सुनाई दिये थे। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने अनुच्छेद 370 को हटाने का पुरजोर विरोध किया था तो कांग्रेस के महासचिव रहे जनार्दन द्विवेदी ने कहा था कि एक भूल जो आज़ादी के समय हुई थी, उस भूल को देर से सही लेकिन सुधारा गया और यह स्वागत योग्य क़दम है। हालाँकि उन्होंने कहा था कि यह पूरी तरह उनकी निजी राय है। 
इसके बाद राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ़ व्हिप भुवनेश्वर कलिता ने भी इस मुद्दे पर इस्तीफ़ा दे दिया था। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे और पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मोदी सरकार के इस फ़ैसले का समर्थन किया था। इसके अलावा नेहरू-गाँधी परिवार के गढ़ रायबरेली से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह ने भी इस मुद्दे पर पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया था। अनुच्छेद 370 को लेकर कांग्रेस बैकफ़ुट पर है और पार्टी नेता इस मुद्दे पर पूरी तरह बँटे हुए हैं। इसके अलावा कई अन्य क्षेत्रीय दल ऐसे हैं जिनके सांसदों ने इस मुद्दे पर पार्टी लाइन से हटकर स्टैंड लिया, इससे विपक्ष कमजोर हुआ और सरकार को मजबूती मिली।
तृणमूल कांग्रेस में उठी आवाज़
ममता बनर्जी की पार्टी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध किया और बिल के विरोध में दोनों सदनों से वॉक आउट कर दिया। लेकिन राज्य सभा में पार्टी के चीफ़ व्हिप सुखेंदु शेखर रॉय ने लोकसभा में इस बिल को रखे जाने के बाद ट्विटर पर अपनी आवाज़ बुलंद की थी। रॉय ने लिखा था, ‘दशकों पुरानी ग़लती को आज ठीक किया जा रहा है। यह बहुत बड़ा फ़ैसला था। परिवर्तन हमारे राष्ट्रीय जीवन का ज़रूरी हिस्सा है। हम नश्वर हैं। लेकिन राष्ट्र नश्वर नहीं है।’
कुँवर दानिश अली पर हुई कार्रवाई
ऐसा ही कुछ बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) में हुआ। बीएसपी में यही होता आया है कि जो फ़ैसला मायावती लेती हैं, उसे पार्टी के हर सदस्य को मानना पड़ता है। लेकिन अंग्रेजी अख़बार इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक़, पार्टी सांसदों ने बताया कि लोकसभा में पार्टी के नेता और अमरोहा के सांसद कुँवर दानिश अली अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर पार्टी लाइन के साथ नहीं थे। बीएसपी ने अनुच्छेद 370 को हटाये जाने का समर्थन किया था। इससे पहले भी कुँवर दानिश अली तीन तलाक़ के मुद्दे पर बीएसपी के संसद से वॉक आउट करने को लेकर नाख़ुश थे। अंत में कुँवर दानिश अली के ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई और उन्हें लोकसभा में पार्टी के नेता पद से हटा दिया गया।
आरसीपी सिंह, अजय आलोक के विरोधी स्वर
बीएसपी की ही जैसी कहानी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की भी रही। वैसे तो जेडीयू एनडीए का सहयोगी दल है लेकिन तीन तलाक़ और अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के मुद्दे पर वह बीजेपी का खुलकर विरोध करता रहा है और दोनों ही मुद्दों पर उसने वोटिंग के दौरान संसद से वॉक आउट कर दिया था। राज्यसभा में पार्टी के नेता आरसीपी सिंह ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर पार्टी से हटकर स्टैंड लेते हुए कहा कि एक बार जब बिल पास हो गया है तो फिर इसका विरोध करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है और सभी को इसका स्वागत करना चाहिए। इससे पहले पार्टी के एक और नेता अजय आलोक भी पार्टी के निर्णय से नाख़ुश दिखाई दिए थे। अजय आलोक ने पार्टी के मुखिया और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर अपने फ़ैसले को लेकर विचार करने के लिए कहा था। 
सिक्किम: एसडीएफ़ के 10 विधायक बीजेपी में शामिल
एसपी, एनसीपी में फूटसमाजवादी पार्टी (एसपी) भी इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह बँटी दिखाई दी। पार्टी के दो राज्यसभा सांसदों सुरेंद्र नागर और संजय सेठ ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर बहस होने से पहले ही पार्टी को अलविदा कह दिया था। दोनों ही नेताओं ने अब बीजेपी का दामन थाम लिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों से वॉक आउट कर दिया था। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने मोदी सरकार के इस फ़ैसले का खुलकर समर्थन किया था। पवार ने कहा था कि देश की एकता के लिए अनुच्छेद 370 को हटाया जाना बेहद ज़रूरी था।
कुल मिलाकर अनुच्छेद 370 को लेकर विपक्ष पूरी तरह बँटा रहा और कई नेताओं ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी पार्टी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई। इसे बीजेपी ने भी ख़ूब प्रचारित किया कि अनुच्छेद 370 पर उसे विपक्षी दलों के सांसदों का पार्टी लाइन से ऊपर उठकर भरपूर सहयोग मिला है। बीजेपी ने अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों को देश की एकता, अखंडता के ख़िलाफ़ बताया है। अब देखना यह होगा कि विपक्ष में पड़ी इस फूट का बीजेपी को भविष्य में कितना राजनीतिक लाभ मिलता है।

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