भाजपा को वाकओवर नहीं देगा विपक्ष, आंतरिक किचकिच के बीच पुख्ता तैयारी
विधानसभा चुनाव से पूर्व हर दल के विक्षुब्ध नेता व कार्यकर्ताओं का रेला फिलहाल भाजपा की ओर जाता दिख रहा है। जिसे देखो भगवा उठाने को तैयार दिख रहा है। लेकिन, यह माहौल अगले कुछ माह भी बना रहेगा, इसे लेकर संशय है। खामोश और अपनी आंतरिक किचकिच में उलझा विपक्ष आसानी से हथियार डाल भाजपा को चुनाव में वॉकओवर देगा, ऐसा नहीं दिखाई देता। चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की भी अपनी तैयारी है, यह बात दीगर है कि विपक्ष अपने पत्ते नहीं खोल रहा है।
विधानसभा चुनाव से पूर्व फिलहाल जो स्थिति दिखाई देर रही है, उसमें भाजपा बढ़त लेती दिख रही है। कांग्रेस आपसी कलह में इस कदर उलझी है कि उसके एजेंडे में चुनाव है या नहीं, पता ही नहीं चल रहा है। हां, मुख्य विपक्षी दल के रूप में झामुमो जरूर चुनाव को लेकर अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटा है। सोशल मीडिया के मोर्चे पर भी झामुमो ने अपने तेजतर्रार सिपाही तैनात किए हैं। झामुमो ने भी तमाम दलों के नेताओं के लिए अपने दल के रास्ते खोल रखे हैं। चुनाव के दौरान सत्ता पक्ष के निराश विधायकों पर भी झामुमो की पैनी नजर है।
भाजपा से छिटककर वैसे विधायक विपक्ष की शरण में आ सकते हैं, जिन्हें अपना टिकट कटने का अंदेशा सता रहा है। भाजपा के अंदरखाने चर्चा है कि पार्टी अपने 20 फीसद मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है। चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम विपक्ष होगा, इसलिए किसी विधायक का चेहरा भाजपा के लिए वैसे भी मायने नहीं रखता। इन निराश विधायकों के लिए झामुमो और कांग्रेस सरीखे दल ही सहारा बनेंगे। अब ये रिजेक्टेट मोहरे विपक्ष के किस काम के होंगे, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि खास पॉकेट में ये भाजपा का नुकसान तो करेंगे ही
विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड के लिए 65 प्लस का लक्ष्य निर्धारित किया है। लोकसभा चुनाव में 14 में से 12 सीटें जीतने वाली भाजपा ने अपने सहयोगी आजसू के साथ 63 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी। जाहिर है पार्टी इससे कम का लक्ष्य तय भी नहीं कर सकती थी। वहीं, मुख्य विपक्षी दल झामुमो फिलहाल सुरक्षित सीटों पर ही फोकस किए हुए है।
झारखंड में 28 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। संताल और कोल्हान इन सीटों के गढ़ माने जाते हैं, जहां अपेक्षाकृत झामुमो की जड़े अभी भी गहरी हैं। इसके अलावा विपक्ष की नजर उन सीटों पर भी है, जहां मोदी लहर के बावजूद भाजपा चुनाव हार गई थी। जिन विधानसभा सीटों पर भाजपा पिछड़ी थी, उनमें पांच में भाजपा के सीटिंग विधायक हैं। इनमें से चार के टिकट कटने की चर्चा जोरों पर हैं। इसके बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नौ सीटों पर भी रस्साकशी होगी।