अनुच्छेद 370 खत्म होते ही जम्मू-कश्मीर में हुआ है नया सवेरा

करीब तीन दशक पूर्व अलगाववादियों की धमकी और घर जलाने जैसी घटना से भयभीत कश्मीरी पंडितों में दोबारा घर लौटने की उम्मीद जगी है। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए समाप्त कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित अलग-अलग राज्य बनने का कश्मीरी सभा देहरादून ने जोरदार स्वागत किया और इस निर्णय को ऐतिहासिक करार दिया। 
रविवार को शिमला बाईपास रोड स्थित तेलपुर के निकट सभा मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में सभा के अध्यक्ष एसके धर ने कहा कि पांच अगस्त को भारत सरकार की ओर से भारतीय संविधान की से अनुच्छेद 370व अनुच्छेद 35ए हटाने की ऐतिहासिक और अतुलनीय पहल की, जिससे प्रत्येक कश्मीरी खुश है। उन्होंने इतिहास को याद करते हुए बताया कि 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में आतंकवाद के भीषण तांडव ने जब कश्मीरी पंडितों का जीना मुश्किल कर दिया था तब मजबूरी में उनको सदियों से आबाद अपने बसेरे छोड़ने पर विवश होना पड़ा। 
इस दौरान करीब ढ़ाई सौ कश्मीरी पंडित परिवार घाटी छोड़कर देहरादून आ गए थे। तीन दशक के इस अंतराल में विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने अपने संघर्ष से दोबारा अपनी जमीन तैयार की। उन्होंने कहा कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए ने अलगाववाद और आतंकवाद को प्रोत्साहित किया। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए इसे समाप्त किया। जिससे कश्मीरी पंडितों के लिए नई सुबह का उदय हुआ है। कहा कि मोदी सरकार का यह निर्णय कश्मीर व देशहित में है। इस मौके पर सभा के सचिव राजेंद्र गनहर, संयुक्त सचिव संजय संजय पंडिता, सदस्य एडवोकेट अशोक कौल, कुलदीप कौल, राजेंद्र जोगी, रविंद्र काक, रवि संबली, सुनील बट्ट, निर्मला धर आदि मौजूद रहे। 

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