एस जयशंकर ने चीन से कहा- कोई भी द्विपक्षीय मतभेद किसी विवाद में तब्दील नहीं होना चाहिए

भारत ने चीन से कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि किसी भी प्रकार का द्विपक्षीय मतभेद किसी विवाद में तब्दील न हो. दरअसल, भारत ने यह टिप्पणी तब की जब चीन ने कहा कि वह कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और उसकी जटिलताओं पर करीब से नजर रख रहा है. साथ ही, चीन ने भारत से क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए 'रचनात्मक भूमिका' निभाने का आग्रह किया. विदेश मंत्री एस जयशंकर तीन दिन की चीन यात्रा पर हैं. उन्होंने चीन के उपराष्ट्रपति वांग किशान से मुलाकात की और इसके बाद विदेश मंत्री वांग यी के साथ प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की. वांग ने जयशंकर का स्वागत किया और इस दौरान उन्होंने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को समाप्त करने के भारत के कदम का सीधा जिक्र नहीं किया लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का उल्लेख किया.
वांग ने कहा, ''शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों के आधार पर हमारे बीच पारस्परिक लाभकारी सहयोग हो सकता है. यह मूलभूत हित और हमारे लोगों के दीर्घकालिक हित में है और यह वैश्विक शांति और मानव प्रगति में योगदान देगा.'' उन्होंने कहा, ''चीन और भारत दो बड़े देश हैं और इस नाते उनके ऊपर क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व बनाए रखने की अहम जिम्मेदारी है.'' वांग ने आगे कहा, ''जब बात भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और उससे संभावित जटिलताओं की आती है, तो हम इन घटनाक्रमों पर नजदीक से नजर रखते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि भारत भी क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए रचनात्मक भूमिका निभाएगा.''
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं. उनका यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए उसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांट दिया है. हालांकि उनका दौरा संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के भारत के फैसले से बहुत पहले तय हो चुका था. जयशंकर की यह यात्रा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की नौ अगस्त को हुई चीन यात्रा के बाद हो रही है. जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने को लेकर चीन से समर्थन मांगने के लिए कुरैशी बीजिंग पहुंचे थे. भारत हमेशा कहता रहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और हालिया फैसला देश का आंतरिक मामला है. विदेश मंत्री एस जयशंकर की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य इस साल के अंत में होने वाली राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप देना है.

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