हम दिल्ली में 56 सीटें जीतेंगे: मनोज तिवारी

भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली यूनिट अब इलेक्शन मोड में आ चुकी है। एक तरफ जोरशोर से सदस्यता अभियान चल रहा है, तो दूसरी तरफ दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारियों के नामों का ऐलान भी हो गया है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी से बात करके एनबीटी ने बीजेपी की चुनावी रणनीति के बारे में चर्चा की: 

दिल्ली में पिछले 21 सालों से बीजेपी सत्ता से बाहर है। 2015 में तो नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद भी बीजेपी को सिर्फ 3 सीटें ही मिल पाई थीं। इस बार कैसे प्रदर्शन की उम्मीद है? 
इस बार हम दिल्ली में बीजेपी का ऑल टाइम रेकॉर्ड तोड़ेंगे। यही हमारा संकल्प भी है। हमने हाल ही में एक सर्वे कराया है, जिसके रुझान भी यही दिखाते हैं कि हमें दिल्ली में 56 सीटें मिल सकती हैं। यह सर्वे हमने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के द्वारा हाल ही में नई-नई घोषणाएं किए जाने के बाद कराया है। जमीनी हालात पर हमारी नजर है। हमें मालूम है कि केजरीवाल कई सारी नई चुनावी घोषणाएं करेंगे, लेकिन हमें यह भी पता है कि लोग इस बार उनके झांसे में नहीं आएंगे। 

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विधानसभा चुनावों में आपके सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है? 
हमारी सबसे बड़ी चुनौती यही है कि हम दिल्ली की समस्याओं को अगले तीन-चार सालों में कैसे दूर करेंगे। इसके लिए हम अपने मैनिफेस्टो में एक पूरा रोडमैप पेश करेंगे। इस वक्त दिल्ली की जैसी दुर्दशा हो चुकी है, उसे दूर करके एक पॉजिटिव माहौल बनाने और दिल्ली को फिर से विकास की पटरी पर लाने का चैलेंज हमारे सामने है। 

दिल्ली बीजेपी में गुटबाजी भी चरम पर दिखती है और एकजुटता का अभाव नजर आता है। चुनाव से पहले इसे कैसे दूर करेंगे? 
हमारी पार्टी में कोई व्यक्ति एक-दूसरे के खिलाफ साजिश रच रहा हो, ऐसी कोई बात नहीं है। पार्टी इस वक्त बिल्कुल एकमत और एकजुट है। बाकी हर पार्टी में लोगों की अपनी महत्वाकांक्षाएं होती हैं कि वे दूसरे से ज्यादा अच्छा काम करके दिखाएं। हम इसको गलत या बुरा नहीं मानते। इस समय पार्टी पूरी एकजुटता से दिल्ली में 21 साल के वनवास को खत्म करने के प्रयास में लगी हुई है। हमारी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है और हम एक-दूसरे से अपनी असहमतियां भी खुलकर व्यक्त करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे बीच कोई विवाद है। 

विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा? क्या मुख्यमंत्री के रूप में किसी को आगे रखकर पार्टी चुनाव लड़ेगी? 
पार्टी के अध्यक्ष के रूप में तो मैं अभी काम कर ही रहा हूं। बाकी मुख्यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा, यह हमारी पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा। उसके लिए सभी को इंतजार करना चाहिए। हर पार्टी की अपनी एक रणनीति होती है कि वह किस प्रकार से चुनाव लड़ेगी। पार्टी नेतृत्व जो रणनीति बनाएगा, हम उसे अमल में लाएंगे। 

आम आदमी पार्टी सभी चुनावी वादे पूरा करने का दावा कर रही है। सीएम लगातार लोकप्रिय घोषणाएं कर रहे हैं, जो जनता को पसंद भी आ रही हैं। क्या बीजेपी इसको लेकर चिंतित है? 
वोटर का मानस एकदम क्लियर है। लोगों को पता है कि चुनावी वादे तीन-चार साल में पूरे हो जाने चाहिए थे। एक चुनाव का वादा दूसरे चुनाव में पूरा करना दिखाता है कि केजरीवाल सरकार ने पांच साल कुछ नहीं किया। चूंकि अब चुनाव सामने है, इसलिए केजरीवाल फिर से झूठे वादे कर रहे हैं, जिसमें उनकी मास्टरी है। मगर अब उनका झूठ चलने वाला नहीं है। दिल्ली ने उनके 70 झूठे वादों की बड़ी कीमत चुकाई है। हमारा अनुमान है कि इस बार उनके सीटों की संख्या डबल डिजिट में भी नहीं पहुंच पाएगी। 

क्या बीजेपी जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने का चुनावी लाभ विधानसभा चुनावों में भी लेना चाहेगी? 
हमने सिर्फ वोट लेने के लिए धारा-370 नहीं हटाई है। यह बीजेपी की इस नीयत को दर्शाता है कि हम जो कहेंगे, वो करेंगे। दिल्ली में भी हम इसकी चर्चा इसी संदर्भ में करेंगे कि हम जो कहते हैं, वो करते हैं। हम दूसरों की तरफ झूठे वादे नहीं करते हैं और वादों से मुकरते नहीं है। 

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