बाढ़ का संचित पानी बुझाएगा दिल्लीवालों की प्यास, यमुना किनारे जल संचय योजना की शुरुआत

यमुना के किनारे जल संचय योजना का आगाज शुक्रवार को हो गया। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संयुक्त रूप से दिल्ली सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को हरी झंडी दिखाई। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यमुना पुश्ता स्थित सांगरपुर में परियोजना की शुरुआत हुई। योजना के तहत नदी के बाढ़ क्षेत्र में एक से डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे बनाए जाने हैं। इसमें बाढ़ का पानी संग्रह होने से भूजल स्तर बेहतर होगा। साथ ही गरमी के दिनों में इसका इस्तेमाल पेयजल के तौर पर होगा। 

इस मौके पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पानी बचाने का यह अभिनव प्रयोग है। आने वाले समय में जल संचय का दिल्ली मॉडल देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में मिशाल बनेगा। शेखावत ने कहा कि दुनिया के कई देश हैं, जहां अपने देश से कम बारिश होती है। फिर भी वहां पानी की बूंद-बूंद सहेजी जाती है। 

इससे सीख लेते हुए भारत में भी बारिश के पानी का ज्यादा से ज्यादा संरक्षण करना चाहिए। वहीं, इसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल जरूरी है। तकनीकी का उपयोग करते हुए पानी का अपव्यय रोकना है। इससे देश जल के मामले  में आत्मनिर्भर होगा। अरविंद केजरीवाल ने मुताबिक, बतौर इंजीनियर इतना समझता हूं कि मौजूदा समस्याओं का समाधान विज्ञान व तकनीकी से निकाला जा सकता है। इसी दृष्टिकोण से यमुना के पानी को जमीन के नीचे बचाने का दिल्ली सरकार बड़ा प्रयोग शुरू कर रही है। किसी सरकार की तरफ से इतने बड़े स्तर पर किया जाने वाला अपनी तरह का यह पहला प्रयोग है।
 
करीब 30 एकड़ पर होगा प्रयोग
दिल्ली सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर करीब 30 एकड़ जमीन पर प्रयोग करने जा रही है। इसके लिए सारंगपुर गांव का चुनाव किया गया है। जमीन के उपलब्धता के हिसाब से एक से डेढ़ मीटर के गड्ढे खोदे जाएंगे। यह एक-दूसरे से जुड़े होंगे। इससे पूरा इलाका एक तरह से जलाशय बन जाएगा। हालांकि, एक बार भरने के बाद एक से डेढ़ दिन में पानी जमीन के अंदर समा जाएगा। हालांकि, प्रोजेक्ट में जमीन के अंदर पानी जाने व उसके फैलाव का भी अध्ययन होगा। इसके बाद ही हकीकत पता चल सकेगी।

एक सीजन में 40,000 लाख लीटर पानी होगा रिचार्ज
सरकार का मानना है कि एक सीजन में करीब 15 बार गड्ढे भरेंगे। एक बार गड्ढों के लबालब होने से करीब 2,700-3,800 लाख लीटर पानी जमीन के अंदर रिसकर पहुंचेगा। इस तरह सिर्फ पायलट प्रोजेक्ट से पूरे सीजन में 40,000 लाख लीटर से ज्यादा पानी जमीन के अंदर पहुंचेगा। 

15 दिन में पूरा होगा प्रोजेक्ट
दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट पर काम शुरू  किया है। सरकार की कोशिश है कि इस सीजन की बाढ़ आने से पहले प्रोजेक्ट तैयार कर लिया जाए। प्रोजेक्ट के मुताबिक, एक सीजन की बाढ़ में सिर्फ दो-तीन मिलीमीटर ही गाद गड्ढों में भरेगी। सालाना देखरेख के दौरान इसे साफ कर दिया जाएगा।

सतह की जगह जमीन के नीचे बनेगा तलाब
इस प्रोजेक्ट में तालाब बाढ़ क्षेत्र की सतह पर नहीं बनेगा। इसकी जगह जमीन के अंदर बड़ा जलाशय बनाया जाएगा। बाढ़ के पानी से हर साल यह रिचार्ज होता रहेगा। गरमी के दिनों में इसका इस्तेमाल इसका पेयजल के तौर पर होगा।

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