उत्‍तराखंड के 71 प्राइमरी स्कूलों में एक भी छात्र नहीं

प्रदेश में जिन प्राथमिक विद्यालयों पर बचपन को संवारने की अहम जिम्मेदारी है, वे अपना किरदार भूलकर गांवों में पलायन की बुनियाद पुख्ता कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों की नुमाइश देखिए, 2521 प्राथमिक विद्यालय सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। ऐसे में 10 से कम छात्रसंख्या वाले विद्यालयों का आंकड़ा 2847 हो गया है। ये विद्यालय कुल विद्यालयों की संख्या का तकरीबन एक चौथाई हैं। सिर्फ एक या दो छात्रसंख्या वाले विद्यालयों की संख्या 264 और शून्य छात्रसंख्या वाले 71 विद्यालय हैं। प्रदेश में 2846 प्राथमिक शिक्षकों की कमी बनी हुई है।
जनसांख्यिकी आंकड़ों के साथ ही पलायन आयोग की रिपोर्ट ने ये साफ इशारा किया है कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन का बड़ा कारण शिक्षा भी है। शिक्षा के नाम पर की जा रही खानापूरी से खफा अभिभावक अपने पाल्यों को सरकारी विद्यालयों में ही भेजने से कतराने लगे हैं। अलग राज्य बने हुए 18 साल के बाद भी प्राथमिक शिक्षा के जो हालात हैं, दूरदराज पर्वतीय क्षेत्रों की बदनसीबी की दास्तां बयां करने को काफी हैं। इन क्षेत्रों में एक भी शिक्षक नहीं, ऐसे 178 प्राथमिक विद्यालय हैं.
 

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