पूर्वोत्तर के लोगों को धारा 371 को लेकर डरने की कोई जरूरत नहीं है. यह कहना है कि केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का. धारा 371 के तहत ही पूर्वोत्तर के राज्यों को विशेष राज्यों का दर्जा मिला है. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार सुबह ट्वीट में कहा कि नॉर्थ ईस्ट को डरने की कोई जरूरत नहीं है, धारा 371 जैसा है, वैसा ही रहेगा. इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि 370 और 371 के बीच में अंतर है. विपक्ष इस पर भ्रम फैला रहा है.
बता दें कि देश के 11 राज्यों में धारा 371 लागू है जो केंद्र सरकार को विशेष ताकत देती है. इस धारा की बदौलत केंद्र सरकार उस राज्य में विकास, सुरक्षा, सरंक्षा आदि से संबंधित काम कर सकती है.
हम शिमला समझौते की समीक्षा करेंगे : पाकिस्तानसंविधान के अनुच्छेद 371 (जी) में कहा गया है कि संसद मिज़ोस की धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं, भूमि स्वामित्व हस्तांतरण के मामलों पर विधानसभा की सहमति के बिना निर्णय नहीं ले सकती है.
संविधान के अनुच्छेद 371(ए) में कहा गया है कि जमीन के मालिकाना हक को लेकर नगा समुदाय के पारंपरिक प्रथाओं, शासकीय, नागरिक और आपराधिक न्याय संबंधी नियमों को संसद बदल नहीं सकती. केंद्र सरकार इस पर तभी फैसला ले सकती है जब राज्य की विधानसभा कोई संकल्प या कानून न लेकर आए. ये कानून तब बनाया गया जब भारत सरकार और नगा लोगों के बीच 1960 में 16 बिंदुओं पर समझौता हुआ.
केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम में, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले धारा 370 को हटा दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया.