मायावती के निशाने पर अब अखिलेश के यादव वोटर, मुसलमानों और ब्राह्मणों को भी साधा

उत्तर प्रदेश में मजबूत होती बीजेपी से टक्कर लेने की कोशिश में जहां एक ओर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पिछड़ते नजर आ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ मायावती सूबे की सियासी नब्ज़ को पकड़ते हुए लगातार पार्टी में फेरबदल कर रही हैं. मायावती ने अब अपनी निगाहें समाजवादी पार्टी के कोर वोटर कहे जाने वाले यादवों की तरफ मोड़ दी है. साथ ही मुसलमान और ब्राह्मणों को भी साधने में जुटी हुई हैं.

दरअसल बुधवार को यूपी में संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए मायावती ने पश्चिमी यूपी के मुस्लिम चेहरे मुनकाद अली को प्रदेश की कमान सौंप दी. वहीं जौनपुर के श्याम सिंह यादव को लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित किया गया. सदेश साफ है कि मायावती यादवों को पार्टी से जोड़ना चाहती हैं. श्याम सिंह यादव को नेता बनाकर उन्होंने यह संदेश दिया है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में यादवों को तवज्जो दी जाएगी.

जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जिस तरह से उन्होंने सपा से गठबंधन तोड़ा और यह भी आरोप लगाया कि अखिलेश यादव का अपने कोर यादव वोटर पर पकड़ कमजोर हुई है. लिहाजा मायावती अब यादवों को अपने पाले में लाने की जुगत में हैं.

सभी वर्गों को साधने की कोशिश
जानकार बताते हैं कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही मायावती को इस बात का एहसास हो गया था कि खुद के वोटबैंक के अलावा अन्य क्षेत्रीय दलों के कोर वोटर इतने मजबूत नहीं रह गए हैं. ऐसे में पार्टी को मजबूत करने और 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की चुनौती से निपटने के लिए उन्हें सभी जातियों और वर्गों के समर्थन की जरूरत होगी. 2019 के लोकसभा चुनाव में यह बात सामने आई भी कि बीजेपी ने सपा के मूल वोटबैंक में सेंधमारी की. हालांकि एक बहुत बड़ा यादव वोटर आज भी सपा के साथ खड़ा है. लेकिन लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद जिस तरह से अखिलेश यादव इनएक्टिव हुए उससे यादव वोटरों में हताशा के साथ जमीन पर संघर्ष भी कम देखने को मिला है. लिहाजा मायावती अब पार्टी में यादवों को नेतृत्व देकर उन्हें अपने पाले में करना चाहती हैं.

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