हुड‌्डा का गढ़ भेद बादली को दी नयी ऊंचाई

हरियाणा के 6700 गांवों में बादली भी आता है। बादली गांव ही नहीं बल्कि विधानसभा क्षेत्र भी है। कभी देवीलाल का गढ़ रहे बादली क्षेत्र में वह समय भी आया जब देवीलाल का तिलिस्म टूटा और क्षेत्र की हुड्डा के गढ़ के रूप में पहचान बनी। मगर पिछले चुनाव में भाजपा ने बादली जीतकर हुड्डा का भी गढ़ जीत लिया। बादली को 2014 में ओमप्रकाश धनखड़ के रूप में नया विधायक मिला। मंत्री पद मिला तो बादली का स्वरूप एक झटके में गांव से उपमंडल स्तर पर पहुंच गया। बादली की जनता ने जो नई ईबारत लिखी तो इस हलके के 100 से अधिक गांवों के लिए बहार आई। उन्हें ऐसा विधायक मिला, जिसने अपने काम की रिपोर्ट गांवों के बीच बैठकर लोगों को दिखाई। मंत्री के नाते प्रदेश में लिखी नई इबारतों का रिकार्ड बनाया। शिक्षित पंचायतों से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता का रिकार्ड बनाया। पुरस्कार जीते। बादली हलके के अतीत पर यदि एक नजर डाली जाए तो लगातार 5 बार धीरपाल सिंह को बादली का विधायक जनता ने चुना। वह चौटाला सरकार में मंत्री भी रहे। इसके बाद बादली की जनता ने नरेेश शर्मा को विधायक बनाया। दो बार विधायक रहे नरेेश शर्मा की हुड्डा खेमे से ही अनबन हो गई। टिकट तो मिला, मगर हुड्डा खेमे का हाथ निर्दलीय उम्मीदवार कुलदीप वत्स पर था, लेकिन इसी चुनाव में बाजी भाजपा के धनखड़ मार ले गए।
वादे जो रह गए अधूरे 
विधायक बनने व बाद में हरियाणा मंत्रिमंडल में स्थान पाने के बाद प्रदेश के कृषि मंत्री ओपी धनखड़ के दो ड्रीम प्रोजैक्ट थे। इन प्रोजेक्ट में हलका बादली के गांव सौंधी में फूलों का उत्कृष्ट सेंटर व गांव रईया में बागवानी विश्वविद्यालय का रिजनल सेंटर प्रमुख थे। सौंधी में बनने वाले फूलों का यह उत्कृष्ट सेंटर तो आज तक शुरू नहीं हो पाया, लेकिन गांव रईया में बनने वाला बागवानी का रिजनल सेंटर शुरू जरूर हुआ, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते यह परियोजना अभी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। तलाव गांव में कई एकड़ में रंगीन मछली का देश का पहला सेंटर बनवाने में धनखड़ ने जरूर सफलता हासिल की है। इस पर निर्माण भी शुरू हो चुका है।

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