जब पाकिस्तान की ज़मीन पर जाकर सुषमा ने पाकिस्तानियों को सिखाई हिंदुस्तानी तहज़ीब

सुषमा स्वराज की वाक् पटुता का हर कोई कायल था. संसद हो, राजनीतिक रैली हो या फिर पाकिस्तानी चैनल का स्टूडियो. सुषमा जी को जहां जो कहना था पूरी ठसक से और साफ-साफ कहती थीं.
अब जब सुषमा स्वराज हमारे बीच नहीं हैं तब उनसे जुड़ी हर बात याद आ रही है. इसी सिलसिले में उनका पाकिस्तान के पीटीवी को दिया ऐसा इंटरव्यू भी याद आ रहा है जो उन्होंने आज से 17 साल पहले साल 2002 में दिया था. मार्च महीने में पाकिस्तान की राजधानी सार्क की मेजबान थी. तब भारत में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी और सुषमा स्वराज सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री का दायित्व संभाल रही थीं. पाकिस्तान में परवेज़ मुशर्रफ वर्दी उतारकर राष्ट्रपति बन चुके थे. सिर्फ तीन महीने पहले भारत की संसद ने आतंकवादी हमला झेला था जिसके बाद सरहदों पर फौज की तैनाती बढ़ जाने से हवा में तनाव था. दोनों देशों के बीच चल रही हर तरह की बातचीत ठप्प पड़ गई थी. पाकिस्तान चाहता था कि भारत फिर बातचीत की मेज़ पर आ जाए लेकिन वाजपेयी सरकार घाटी में आतंक के पूरी तरह खात्मे से पहले टूटे सिलसिले को जोड़ना नहीं चाहती थी. फिर सार्क के तले सूचना एवं प्रसारण मंत्रियों की बैठक का आयोजन हुआ. भारत ने पूरे उपमहाद्वीप के हितों को दरकिनार करना उचित नहीं समझा और पाकिस्तान की धरती पर अपने प्रतिनिधि को भेजने का फैसला लिया. ज़ाहिर था, सार्क बहुराष्ट्रीय मंच था इसलिए फोकस भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर नहीं था मगर जब पाकिस्तानी चैनल ने सुषमा स्वराज को दावत दी तो उन्होंने ना सिर्फ इंटरव्यू दिया बल्कि कई मर्यादाओं का पालन करते हुए भारत का पक्ष साफ-साफ रखा.

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