जानिए कैसे... नई शिक्षा नीति पर फंस गई झारखंड की रघुवर सरकार!

70 हजार पारा शिक्षकों की फौज झारखंड सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है. दरअसल, केन्द्र ने राज्य सरकार से नई शिक्षा नीति के लिए 31 जुलाई तक सलाह मांगी थी. इसको लेकर रघुवर सरकार असमंजस की स्थिति में है. नई शिक्षा नीति में पारा शिक्षकों के पद को पूरी तरह से समाप्त करने का प्रावधान है. अगर सरकार इस शिक्षा नीति की सराहना करती है तो उसे पारा शिक्षकों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा और यदि वह पारा शिक्षकों के बनाये रखने की बात कहती है तो इसका मतलब होगा नई शिक्षा नीति का विरोध करना.

नई शिक्षा नीति पर ऐसे फंस गई झारखंड सरकार

सर्वशिक्षा अभियान के तहत राज्य में नियुक्त किये गये 70 हजार पारा शिक्षक अब सरकार के लिए एक ऐसी चुनौती बन गयी है, जिसे ना निगलते बन रहा है और ना ही उगलते. केन्द्र सरकार ने झारखंड से नई
शिक्षा नीति पर अपना मंतव्य देने को कहा था. इसके लिए केंद्र सरकार ने 31 जुलाई 2019 तक समय दिया था. लेकिन रघुवर सरकार तय नहीं कर पायी कि वह केन्द्र को क्या सलाह दे. इसकी बड़ी वजह थी- पारा शिक्षकों की बड़ी फौज. बता दें कि कुछ ही महीनों बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सरकार पारा शिक्षकों को नाराज नहीं करना चाहती है. वहीं, केन्द्र की नई शिक्षा नीति में पारा शिक्षकों के पद को पूरी तरह से समाप्त करने की बात कही गयी है.

नई शिक्षा नीति को लेकर शिक्षा विभाग ने तीन-तीन बार बैठक की, उसके बाद भी केन्द्र को किसी प्रकार की सलाह देने की स्थिति में नहीं आ पायी. लिहाजा राज्य सरकार ने एक पत्र लिखकर केन्द्र से कहा कि उसे एक और महीने का वक्त दिया जाये ताकि वो नई शिक्षानीति पर अपनी राय दे सके. दरअसल, शिक्षा विभाग की बड़ी चिंता ये है कि यदि वह 70 हजार पारा शिक्षकों को हटाती है उसे एक बड़े आंदोलन से दो चार होना पड़ेगा. सरकार के साथ दूसरी परेशानी ये है कि वह इतनी बड़ी संख्या को नियमित शिक्षक के रूप में नियुक्त करे तो कैसे करे. यही वजह है कि केन्द्र को किसी प्रकार की सलाह नहीं दे पायी.

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