मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोले, केंद्र अगर पीयू को अपना लेता तो आज इसकी होती विशिष्ट पहचान

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को उपराष्ट्रपति के साथ पटना विवि की सेंट्रल लाइब्रेरी और पटना हाइस्कूल के शताब्दी समारोहों में शामिल हुए. उन्होंने  पटना विवि की लाइब्रेरी के शताब्दी वर्ष समारोह में कहा कि पटना विवि का साइंस कॉलेज एशिया का सबसे बड़ा और बेहतरीन कॉलेज है. इस विवि को 102 साल और सेंट्रल लाइब्रेरी को 100 साल हो गये हैं. इस ऐतिहासिक संस्थान को अगर केंद्र सरकार  अपना लेती, तो यह एशिया के ख्याति प्राप्त संस्थान को अपनाना होता और आज इसकी विशिष्ट पहचान होती. उन्होंने बिना सेंट्रल यूनिवर्सिटी शब्द प्रयोग करते हुए कहा कि पिछली बार हमारी मांग खारिज कर दी गयी थी. 
इस पर केंद्र ने अब तक  कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपनी तरफ से पटना विवि को विशिष्ट संस्थान बनाने के लिए जितनी राशि की जरूरत पड़ेगी, वह देगी. राज्य में नये चांसलर भी आ गये हैं, ये अध्ययन के प्रति पूरी रुचि लेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जितना बड़ा देश है, उससे बड़े इलाके में एक समय पाटलिपुत्र का शासन था. इसके साम्राज्य में नालंदा, विक्रमशिला, तेल्हाड़ा, तक्षशिला (अब पाकिस्तान में) जैसे विश्वविद्यालय थे. नालंदा विवि में 10 हजार छात्र और एक हजार शिक्षक थे. इसे चलाने के लिए 200 गांवों को जोड़ा गया था. इनमें 125 गांवों को चिह्नित कर लिया गया है, जिन्हें नये नालंदा विश्वविद्यालय से जोड़ा जायेगा. 
शिक्षा की ऐतिहासिक गौरव को बिहार धीरे-धीरे खोता चला गया. राज्य का जीइआर (ग्रॉस इनरॉलमेंट रेशियो) गिरकर 13.9% पहुंच गया. इसे बढ़ाकर 30% करना है, जबकि देश का जीइआर 24% है. सीएम ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली के लिए राज्य में जबरदस्त अभियान चलेगा. इससे जुड़कर छात्र काम करें. छात्रों की रुचि राजनीति में है, तो वे आएं, लेकिन मुल्क और समाज को बढ़ाने के लिए प्रेम-स्नेह का भाव बनाये रखें. 

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