सोनभद्र: योगी ने हटाए डीएम-एसपी, दर्जनों कर्मचारी निलंबित

सोनभद्र में हुए आदिवासियों के नरसंहार के बाद बैकफ़ुट पर आयी योगी सरकार ने रविवार को बड़ी कारवाई की। ज़मीन हड़पने के विवाद और नरसंहार पर बनी जाँच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे विवाद की जड़ नेहरूकालीन कांग्रेस व उसके नेताओं को बताया। उन्होंने माना कि आदिवासी बहुल वन क्षेत्र सोनभद्र व मिर्जापुर में बड़े पैमाने पर सहकारी समितियाँ बनाकर ज़मीन हड़पने का खेल हुआ है। योगी ने कहा कि दोनों जिलों में सहकारी समितियों के जरिए कम से कम एक लाख एकड़ वन भूमि, ग्रामसभा की जमीनें हड़प ली गयी हैं। अब इस मामले की जाँच के लिए भी एक समिति बनायी गयी है।
सोनभद्र मामले में योगी सरकार ने कड़ी कारवाई करते हुए जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान को हटा दिया और दर्जनों अधिकारियों, कर्मचारियों को निलंबित करते हुए मुक़दमे दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने पूरे मामले का ठीकरा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर फोड़ते हुए उसे ही पूरे विवाद का दोषी बताया है। सोनभद्र मामले को लेकर प्रमुख सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित जाँच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद रविवार को मुख्यमंत्री ने यह एलान किया। सोनभद्र में जिस ज़मीन को लेकर विवाद हुआ उसे ग्रामसभा को स्थानांतरित करने का निर्देश देते हुए आदिवासियों को उसका पट्टा देने के आदेश दिए गए हैं।
सोनभद्र की विवादित ज़मीन को सोसाइटी से अपने नाम कराने और फिर से उसे बेच देने के मामले में आईएएस अधिकारी प्रभात मिश्रा की पत्नी आशा मिश्रा व बेटी विनीता मिश्रा पर एफ़आईआर कराने के आदेश दिए गए हैं। कार्रवाई के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सोनभद्र के जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल व पुलिस कप्तान सलमान ताज़ को हटा दिया गया है। एस. रामलिंगम सोनभद्र के नए जिलाधिकारी व प्रभाकर चौधरी पुलिस कप्तान बनाए गए हैं। सोनभद्र में घोरावल तहसील के पुलिस क्षेत्राधिकारी व उपजिलाधिकारी के साथ ही वाराणसी के सहायक निबंधक, तहसीलदार घोरावल व कई राजस्व व पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। कार्रवाई की जद में अलग-अलग काल में सोनभद्र व पूर्व में मिर्जापुर जिले में रहे कई राजस्व अधिकारी भी आए हैं। मुख्यमंत्री योगी ने कहा है कि 1955 से अब तक इस मामले में जो भी लोग दोषी पाए गए हैं, वे अगर जीवित हैं तो उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कराया जाए।
एक लाख एकड़ ज़मीन हड़पी
रिपोर्ट और कार्रवाई का ब्यौरा देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सोनभद्र व मिर्जापुर में कृषि सहकारी समितियों के फर्जीवाड़े की जाँच होगी। सोनभद्र में ज़मीन हड़पने के मामलों की जाँच के लिए महानिरीक्षक जे. रवींद्र गौड़ की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया है। सहकारी समितियों की जाँच के लिए अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार को जिम्मा देते हुए तीन महीनों में रिपोर्ट देने को कहा है। मुख्यमंत्री का कहना है कि सोनभद्र और मिर्जापुर जैसे जिलों में इन समितियों के जरिए एक लाख एकड़ के लगभग वन एवँ ग्रामसभा की ज़मीन हड़पी गयी है। व्यापक जाँच में इसका ख़ुलासा होगा। मुख्यंमत्री ने पूरे विवाद का इतिहास बताते हुए इसके लिए 1952 की कांग्रेस सरकार व इसके नेताओं को दोषी बताया है।
रिपोर्ट में मिली गड़बड़ियाँ
सोनभद्र कांड के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर गठित अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में बनी जाँच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शनिवार को शासन को सौंपी थी। रेणुका कुमार कमेटी ने जाँच में पूरे मामले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पायी है और इस ज़मीन घोटाले में अधिकारी, भू-माफिया, पुलिस से लेकर स्थानीय रसूखदार भी शामिल पाए गए हैं। अपर मुख्य सचिव राजस्व की रिपोर्ट में कई अहम ख़ुलासे हुए हैं। कमेटी को हर स्तर पर गड़बड़ियाँ मिली हैं। इनके चलते कमेटी ने पूरे मामले की एसआईटी जाँच की सिफ़ारिश की थी। रिपोर्ट के मुताबिक़, पट्टे से लेकर रजिस्ट्री तक सबमें गड़बड़ी मिली है और प्राथमिक तौर पर 15 से अधिक अफ़सरों की भूमिका संदिग्ध है।
रिपोर्ट बताती है कि जंगल क्षेत्र की ज़मीन को लेकर वन विभाग, पुलिस और राजस्व के अफ़सरों ने गड़बड़ी की है और इसमें राजनीतिक रसूखदारों की भूमिका पाई गई है। रिपोर्ट में सहकारी समिति बना कर वन क्षेत्र व आदिवासियों की ज़मीन हड़पने के खेल को लेकर बड़ा ख़ुलासा हुआ है। रिपोर्ट में सोनभद्र की 13 सहकारी समितियों पर भी कार्रवाई की सिफ़ारिश हुई है। इन सहकारी समितियों के जरिए हजारों हेक्टेयर जमीन हड़पे जाने का ख़ुलासा हुआ है और बाद में ज़मीनों को निजी नामों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। 
आईएएस अधिकारी था संलिप्त
ग़ौरतलब है कि यूपी के सोनभद्र के उभ्भा गाँव में हुए नरसंहार के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटनास्थल का दौरा किया था और अपर मुख्य सचिव राजस्व की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दस दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा था। इस तीन सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता रेणुका कुमार को दी गयी थी।एक हज़ार पेज की रिपोर्ट में ज़िम्मेदार अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की सिफ़ारिश की गई है। इसमें सोनभद्र के साथ ही मिर्जापुर की सहकारी समितियों की भी जाँच की सिफ़ारिश की गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी को गलत तरीक़े से 17 दसंबर 1955 में सोनभद्र के उम्भा गाँव में 1300 बीघा ज़मीन आवंटित की गयी जिसे 1989 में एक आईएएस अधिकारी उसकी पत्नी और रिश्तेदारों के नाम कर दिया गया। ज़मीन हड़पने के लिए सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों को ताक पर रख दिया गया। इस मामले में 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने और एनजीटी ने 2016 में आदेश दिए थे।

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