दुष्यंत चौटाला के सामने किसान का छलका दर्द, बोला- आप संसद में होते तो नहीं चढ़ना पड़ता टंकी पर
साहब, यह हमारा दुर्भाग्य है कि आप इस बार लोकसभा में नहीं पहुंच सके। यदि आप संसद में पहुंच जाते तो किसानों को अपनी समस्याएं सरकार तक पहुंचाने के लिए पानी की टैंकी पर चढ़ कर नहीं बतानी पड़ती, उन्हें अपनी समस्याएं को लेकर दर-दर की ठोकरें नहीं खाते बल्कि आप स्वयं किसानों की हर समस्या को देश की सबसे बड़ी पंचायत में उठाते। ये शब्द हैं एक किसान के हैं जिसने यहां जन-चौपाल कार्यक्रम के तहत पहुंचे दुष्यंत चौटाला के समक्ष कहे। इस किसान ने सुरजमुखी का भाव लेने के लिए किसानों को पानी की टैंकी पर चढ़ कर प्रदर्शन करना पड़ा था और यह नौबत इसलिए आई थी कि किसानों की आवाज उठाने वाला कोई भी सांसद इस बार सदन में नहीं पहुंचा है। कुरूक्षेत्र जिले के इस किसान ने कहा कि दुष्यंत बतौर सांसद न केवल हिसार के लोगों की समस्याओं को सदन में रखते थे बल्कि प्रदेश भर के हर वर्ग की मांग और उनकी बात लोकसभा में रखते थे। यह कमी इस बार किसानों को खूब खल रही है।
पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला ने थानेसर हलके के गांव चडूनी जाटान, शांतिनगर, सिरसला व अजराना कलां में जन-चौपाल में कहा कि किसान मन छोटा न करें, मैं पूरी तरह से किसानों के साथ हूं और उनकी आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हूं। उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ साथ प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों की आवाज को दबाने में लगी है। कभी फसल के पंजीकरण के नाम पर को कभी फसलों की सरकारी खरीद न करके तो कभी उनका मुआवजा रोककर। सरकार चारों ओर से किसानों पर पाबंदिया लगाने में जुटी है ताकि किसानों का ध्यान बंटाया जा सके। भाजपा ने दोबारा में सत्ता में आते ही डीएपी के दाम 220 रूपये प्रति बैग बढ़ा दिए। पूर्व सांसद ने कहा कि भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण भूमि अधिग्रहण के उचित भाव के लिए आंदोलनरत एक किसान की आज दादरी में जान चली गई जिसके लिए सीधे तौर पर प्रदेश सरकार दोषी है। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी के भूमि अधिग्रहण में मुआवजे की मांग कर रहे किसानों को मांग को जायज ठहराते हुए कहा कि किसानों की मांगों के अनुसार मुआवजा दिया जाए।