भाजपा से निष्काषित बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के तीनों शस्त्र लाइसेंस निरस्त

दुष्कर्म के आरोप के बाद पीड़िता के सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दबंग विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ शिकंजा कसा है। भारतीय जनता पार्टी से बाहर होने के बाद अब जिला प्रशासन भी सेंगर पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है।
दुष्कर्म के साथ ही दुष्कर्म पीड़िता की हत्या के प्रयास की सीबीआइ जांच होने के बाद से ही विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर शिकंजा कसा गया है। भाजपा से निष्काषित सीतापुर जेल में बंद लंबे समय से अटकी विधायक कुलदीप सेंगर के शस्त्र लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई आखिर 15 माह बाद शुक्रवार को पूरी हो ही गई। शस्त्र लाइसेंस निरस्तीकरण के प्रकरण को जागरण उठाए जाने के बाद जिला मजिस्ट्रेट देवेंद्र कुमार पाण्डेय ने बाहुबली विधायक के तीनों शस्त्र लाइसेंस निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।
दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हत्या और उसके बाद सीबीआइ की गिरफ्त में आने के बाद विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के सभी शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई शुरू की गई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी के तबादले के बाद प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई। बीते रविवार को कार हादसे के बाद माखी कांड फिर देश भर में सुर्खियां बना तो विधायक सेंगर की दबंगई और सत्ता में दबदबे को लेकर सरकार पर भी सवाल उठे। विपक्षी दलों के विरोध और सुप्रीम कोर्ट के मामले को संज्ञान में लेने के बीच जागरण ने अब तक विधायक के शस्त्र लाइसेंस निरस्त न होने का मामला उठाया। जिलाधिकारी देवेंद्र कुमार पाण्डेय ने इसे गंभीरता से लिया, जिसके बाद शस्त्र लाइसेंस निरस्तीकरण की फाइल तलाशी गई।
 
जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने शुक्रवार को अंतिम सुनवाई कर शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया। बाहुबली विधायक के पास एक नाली बंदूक, रायफल और रिवाल्वर है। उनकी गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन एसपी ने डीएम को लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट भेजी थी। लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई न्यायिक प्रक्रिया के तहत होती है। मामले की सुनवाई जिला मजिस्ट्रेट के न्यायालय में चल रही थी।
अप्रैल 2018 में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ गैंगरेप की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। जिसके बाद विधायक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। फिलहाल सीबीआई कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने विधायक के शस्त्र लाइसेंस रद करने की मांग की थी।
जिला मजिस्ट्रेट देवेंद्र कुमार पांडेय ने जिस समय इस प्रकरण की सुनवाई उस समय विधायक के पक्ष के वकील नहीं पहुंचे। जिला मजिस्ट्रेट ने आयुध लिपिक को कार्यालय बुलाकर शस्त्र लाइसेंस नियमावली के विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की। जिसके बाद जिला मजिस्ट्रेट ने विधायक के तीनों लाइसेंस रद करने का आदेश दिया।
मूल रूप से फतेहपुर जिले के रहने निवासी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की माखी गांव में तूती बोलती है। यहां के माखी थाना क्षेत्र के सराय थोक पर उनका ननिहाल है। इसके बाद वह यहीं आकर बस गए। कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव के अलग-अलग विधानसभा सीटों से चार बार से लगातार विधायक निर्वाचित हुए हैं। 

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