कश्मीर में बदलते हालात पर चर्चा करने के लिए डॉ फारूक ने रविवार को बुलाई सर्वदलीय बैठक

घाटी में सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के 38 हजार जवानों की तैनात किए जाने के साथ ही अनुच्छेद 35ए को भंग करने की अटकलों से पैदा हाला पर चर्चा के लिए डाॅ फारुक अब्दुल्ला ने रविवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। कश्मीर घाटी में बीते कुछ दिनों से राज्य के विशेष संवैधानिक दर्जे और अनुच्छेद 35-ए को समाप्त करने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। कश्मीर केंद्रित सियासत करने वाले मुख्यधारा के राजनीतिक दल और उनके नेता बार-बार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। केंद्र सरकार ने अभी तक इन अटकलों को अधिकारिक स्तर पर खारिज नहीं किया है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने गत दिनों नैकांध्यक्ष डाॅ फारुक अब्दुल्ला से अनुच्छेद 35-ए और अनुच्छेद 370 को भंग करन की जारी अटकलों से निपटने के लिए कश्मीर के सभी राजनीतिक, सामाजिक और बुद्धिजीवी संगठनों को एक मंच पर जमा करने व एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का आग्रह किया था। इस मुद्दे पर पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन व अन्य दलों के नेताओं से भी बातचीत की। सभी ने सर्वदलीय बैठक पर हामी भरी ताकि एक साझा मंच तैयार कर, अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 को भंग करने की साजिशों को नाकाम बनाने के लिए साझा रणनीति बनायी जाए। प्रधानमंत्री से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल बनाया जाए।
रविवार को नैकांध्यक्ष डाॅ फारुक अब्दुल्ला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। लेकिन बैठक में शामिल होने के लेकर पीडीपी में संशय बना हुआ है। पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि सर्वदलीय बैठक हो रही है। इसमें सभी अपना पक्ष रख पाएंगे, लेकिन मुझे इस बात का अफसोस है कि इस बैठक से पहले ही उमर अब्दुल्ला और फारुक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इससे सर्वदलीय बैठक का मकसद किसी न किसी तरीके से प्रभावित होता। बेहतर होता कि नैकां नेतृत्व सर्वदलीय बैठक के बाद ही प्रधानमंत्री से मिलता। यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रस्तावित बैठक में शामिल होंगी तो उन्होंने कहा कि यह बैठक हमारे प्रस्ताव पर ही बुलायी जा रही है।
पीपुल्स यूनाईटेड फ्रंट के संयोजक पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद ने कहा कि हमने भी आज एक सर्वदलीय बैठक बुलायी है। देखते हैं कि इसमें क्या नतीजा निकलता है। हम भी बैठक में शामिल होंगे। आखिर इस समय जम्मू-कश्मीर की ही नहीं हमारी पहचान पर भी संकट बना हुआ है। कश्मीर के खिलाफ होने वाली साजिशों का मुकाबला करने के लिए हम सभी का एकजुट होना जरुरी है। आज पूरे कश्मीर को सैन्य छावनी बना दिया गया है, यह सिलसिला रुकना चाहिए। अगर इसके लिए हमें किसी अन्य दल में शामिल होना पड़ता है तो हम उसके लिए भी तैयार हैं। नैकां की सर्वदलीय बैठक में ही हमें पता चलेगा कि उमर और डाॅ फारुक अबदुल्ला ने प्रधानमंत्री से क्या बातचीत की है।

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