महाराष्ट्र चुनाव के लिये विपक्ष का सबसे बड़ा मुद्दा- EVM हटाओ

अक्टूबर में महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव होने हैं और सभी पार्टियों ने इसके लिये तैयारियां शुरू कर दी हैं. चंद हफ्तों पहले तक लग रहा था कि इन चुनावों में अकालग्रस्त किसानों की समस्याएं सबसे बडा मुद्दा होंगी. किसानों को रिझाने के लिये राज्य के ग्रामीण इलाकों में सभी पार्टियों ने राज्यव्यापी यात्राएं आयोजित कीं. इस वक्त खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस राज्यभर में अपना रथ लेकर घूम रहे हैं, लेकिन अब मुद्दा किसानों से हटता नजर आ रहा है. मुद्दा अब बन गया है ईवीएम मशीन. ईवीएम मुक्त चुनाव की मांग को लेकर सभी बीजेपी और शिवसेना विरोधी पार्टियां एकजुट होकर आंदोलन शुरू कर रही हैं.
विपक्षी पार्टियां लोगों के बीच ये संदेश लेकर जाना चाहती हैं कि बीजेपी और शिवसेना ईवीएम के जरिये धोखाधड़ी कर रहीं हैं. जिस तरह नतीजे आने के पहले इन पार्टियों के नेता कितनी सीटें मिलेंगी इसका बडे आत्मविश्वास के साथ ऐलान करते हैं और नतीजों वाले दिने पहले से ही ढोल-ताशे और पटाखे मंगवा लेते हैं, उससे यही संकेत मिलता है कि ये पार्टियां ईवीएम में छेड़खानी करके चुनाव दर चुनाव जीत रहीं हैं. ईवीएम को लेकर सभी पार्टियों को एकजुट करने का काम राज ठाकरे कर रहे हैं. इस हफ्ते इसी सिलसिले में वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कोलकाता जा कर मिले. शुक्रवार को उन्हीं की अगुवाई में सारे विपक्षी दलों की एक बैठक भी बुलाई गई. बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में ऐलान किया गया कि 21 अगस्त को सभी विपक्षी पार्टियां ईवीएम के विरोध में मोर्चा निकालेंगीं. प्रेस कांफ्रेंस में राज ठाकरे ने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है. उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सूत्र बताते हैं कि राज ठाकरे आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का भी ऐलान कर सकते हैं, हालांकि खुद उनकी पार्टी के कुछ नेता दबी जुबान से इसका विरोध कर रहे हैं.
उधर एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा कि अगर सत्ताधारी पार्टियों को अपनी जीत का यकीन है तो उन्हें बैलेट पेपर से वोटिंग करवाने से परहेज क्यों है. अगर वो ईवीएम से जीत सकते हैं तो फिर बैलेट पेपर से भी जीत सकते हैं. भुजबल के मुताबिक जनता का चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बना रहे इसके लिये बैलेट पेपर से चुनाव करवाना जरूरी है.
गौरतलब है कि इस वक्त महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों में दलबदल की वजह से हड़कंप मचा हुआ है. कांग्रेस और एनसीपी के कई दिग्गज नेता हाल ही में बीजेपी और शिवसेना में शामिल हो गये हैं, जिनमें आधा दर्जन से अधिक मौजूदा विधायक और 50 से ज्यादा पार्षद शामिल हैं. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले चंद दिनों में कई और बड़े चेहरे विपक्षी पार्टियों का दामन छोड़कर सत्ताधारी खेमे में शामिल होने वाले हैं. ऐसे में ईवीएम विरोध के जरिये विपक्ष अपनी मौजूदगी बरकरार रखने की कोशिश कर रहा है.

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