मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई भाजपा संगठन की गुटबाजी

प्रदेश भाजपा में उठे सियासी तूफान का असर अब कांगड़ा और ऊना से सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात एक ओहदेदार को हटाने के लिए संगठन और संघ का एक खेमा जुट गया है। उधर, सरकार के ही कुछ मंत्री और संगठन का दूसरा धड़ा ओहदेदार के पक्ष में आ गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी इस सियासी भंवर में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं।  सरकार गठन के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में एक सियासी व्यक्ति की तैनाती की गई। उनके जिम्मे मुख्यमंत्री ने कई महत्वपूर्ण काम दे दिए हैं। इस ओहदेदार की यही शैली कुछ राजनेताओं को पसंद नहीं आई। इसी के बाद कांगड़ा और ऊना में चल रहे सियासी हंगामे के बीच संगठन के नेताओं ने इस ओहदेदार को भी हटाने की कवायद शुरू कर दी।

सूत्रों की मानें तो आरएसएस के जरिये इस पदाधिकारी को हटाने के लिए मुख्यमंत्री पर दबाव बनाया जा रहा है। चूंकि, ओहदेदार ने किसी भी और पद पर जाने को लेकर चुप्पी साध ली है। साथ ही ओहदेदार के पक्ष में कुछ मंत्री, एबीवीपी और भाजयुमो के नेता खुलकर मुख्यमंत्री से नाराजगी जता चुके हैं।
ऐसे में अब कांगड़ा की सियासी गुटबाजी को साधने में जुटे मुख्यमंत्री के लिए अपने ही कार्यालय की गुटबाजी को साधाने की चुनौती खड़ी हो गई है। हालांकि, विधानसभा के मानसून सत्र से पहले इस सियासी बदलाव का सत्र पर असर होने का हवाला देकर इसे टालने का प्रयास किया जा रहा है।

More videos

See All