हाई कोर्ट ने सितारगंज के एसडीएम मनीष की नियुक्ति रद की, सुजीत के चयन का आदेश

हाई कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में 2015 बैच के डिप्टी कलेक्टर मनीष बिष्ट की नियुक्ति को गलत ठहराते हुए दूसरे आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी सुजीत कुमार को चयनित करने के आदेश पारित किए थे। इस आदेश का अनुपालन शासन व राज्य लोक सेवा आयोग ने नहीं किया तो सुजीत ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। नोटिस जारी होने के बाद अब आयोग व सरकार को इस मामले में जवाब देना है। जिस पर सुनवाई 13 अगस्त को होनी है। वहीं मनीष ने भी पुनर्विचार याचिका दायर की है। सुनवाई से पूर्व आयोग ने गुरुवार को ही पीसीएस मनीष की नियुक्ति को रद करते हुए सुधीर को उत्तरकाशी का एसडीएम बना दिया है। 
दरअसल 2015 की राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा का परिणाम 2017 में आया था। डिप्टी कलेक्टर मनीष पूर्व सैनिक कोटे के अभ्यर्थी थे। मनीष के 776 जबकि आरक्षित कोटे के सुधीर के 807 अंक थे। चूंकि मनीष का पूर्व सैनिक कोटे के तहत चयन हुआ तो अधिक अंक लाने वाले सुधीर ने याचिका के माध्यम से इस चयन को हाई कोर्ट में चुनौती दी। दिसंबर 2018 में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मनीष की नियुक्ति को गलत ठहराया। इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो सुजीत द्वारा हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। 
इधर हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में लोक सेवा आयोग की संस्तुति पर शासन ने एसडीएम सितारगंज मनीष बिष्ट की नियुक्ति निरस्त कर दी है। और सुधीर कुमार को उत्तरकाशी में एसडीएम बना दिया।
जगदीश चंद्र कांडपाल, एडीएम नजूल यूएस नगर ने कहा कि एसडीएम मनीष बिष्ट की नियुक्ति के खिलाफ सुधीर कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि मेरिट के आधार पर एसडीएम पद के दावेदार हैं। हाई कोर्ट का फैसला सुधीर कुमार के पक्ष में आया है। कोर्ट के फैसले के आधार पर मनीष डिप्टी एसपी बन सकते हैं। मनीष ने भी फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है। शासन के आधार पर इन दो पदों पर रिसफलिंग की गई है। यदि मनीष के पक्ष में फैसला आता है तो वह एसडीएम बने रहेंगे।

More videos

See All