प्रदेश के सभी पुलों की करायी जायेगी सेफ्टी ऑडिट - उप मुख्यमंत्री

 
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि प्रदेश में बेहतर सड़क तंत्र तैयार करने के लिए नई टेक्नोलॉजी काम में ली जाएं। इसके लिए उन्होंने सार्वजनिक निर्माण विभाग के उच्च अधिकारियों को देश के अन्य राज्यों में काम में ली जा रही तकनीकों का अध्ययन करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऎसी तकनीकों और प्रौद्योगिकी का अध्ययन कर उन्हें आवश्यकतानुसार प्रदेश में लागू किया जाए।

पायलट गुरुवार को शासन सचिवालय में राजस्थान रोड सेक्टर मॉडनाईजेशन प्रोजेक्ट (आरआरएसएमपी) के तहत रोड सेक्टर पॉलिसी एवं कार्ययोजना से सम्बंधित एक प्रजेंटेशन की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर दूसरे राज्यों में फील्ड विजिट करें और इनोवेटिव तकनीकों को विभाग द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों में लागू करें।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कंसल्टेंट के माध्यम से तैयार की जाने वाली डीपीआर की समीक्षा के बाद ही अंतिम रूप दिया जाए ताकि विकास कार्यों की गुणवत्ता बनी रहे। उन्होंने प्रदेश में बेहतर सड़क तंत्र विकसित करने की कार्य योजना की अवधि भी 10 वर्ष से घटाकर तीन से चार वर्ष किए जाने के निर्देश दिए ताकि चरणबद्ध रूप से निर्धारित समय में सड़क विकास के कार्य पूरे हो सकें। 

उन्होंने बताया कि प्रदेश की नई सड़क नीति को तैयार करने में यह ध्यान रखा गया है कि मौजूदा सड़क तंत्र संरक्षित रहे, छोटे से छोटा गांव सड़क नेटवर्क से जुड़ सके, सड़के यातायात संचालन के लिए सुरक्षित रहे, सड़कों पर यातायात संचालन की लागत कम से कम हो, सड़क तंत्र इको फ्रेन्डली हो तथा सड़क तंत्र के निर्माण एवं संचालन की लागत पूर्व की तुलना में कम रहे। उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण कार्यों के साथ-साथ सड़कों के किनारे पेड़ लगाए जाने की एक प्रभावी कार्य योजना बनाकर इसे लागू किया जाए।

पायलट ने निर्देश दिए कि दुर्घटना सम्भावित स्थानों की पहचान और उन्हें दुरुस्त किए जाने सम्बंधी रोड सेफ्टी ऑडिट पर जोर दिया जाए। सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए विभिन्न सड़कों पर चिन्हित ब्लैक स्पॉट दूर करने के काम में भी तेजी लायी जाए। साथ ही प्रदेश में स्थित सभी पुलों की नियमित सेफ्टी ऑडिट आवश्यक रूप से करवाई जाए। 
 

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