बिहार में महागठबंधन का हाल, राजद-कांग्रेस में संकट, हम-रालोसपा सक्रिय, जानिए

दो बड़े घटक दलों के संकट से नहीं उबर पाने के कारण प्रदेश में महागठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े होने लगे हैं। यह स्थिति तब है जब राज्य में विधानसभा चुनाव बहुत दूर नहीं है। महागठबंधन में अभी छोटे दल ही सक्रिय हैं और वे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। 
महागठबंधन के दोनों बड़े दलों में व्याप्त संकट के अपने-अपने कारण हैं, जो लोकसभा चुनाव के नतीजे के तुरंत बाद उत्पन्न हुए और अभी तक जारी हैं। 79 विधायकों के साथ राजद महागठबंधन ही नहीं बल्कि प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी है।
मगर तेजस्वी यादव के पिछले दो माह से राजनीतिक सीन से गायब रहने के कारण राजद संकट में है। वहीं, राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से नेतृत्व को लेकर कोई फैसला नहीं होना कांग्रेस को भी परेशानी में डाले है। भाजपा-जदयू संगठन विस्तार में जुटे हैं तो ये दोनों दल नेतृत्व पर छाए बादल छंटने का इंतजार कर रहे हैं।
राजद के भविष्य को लेकर तो राजनीतिक हलके में अटकलबाजी का दौर आरंभ हो गया है। हाल के दिनों में राजद की कांग्रेस से दूरी बढऩे की चर्चा ने भी जोर पकड़ रखा है। कांग्रेस नेताओं के समय-समय पर आ रहे बयान इन अटकलों को और हवा दे रहे हैं। जो परिस्थिति बनी है उसने महागठबंधन के भविष्य पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है।
महागठबंधन के अन्य तीन दलों-रालोसपा, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इनसान पार्टी, के पास केवल एक ही विधायक हैं, जो और कोई नहीं बल्कि हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी खुद हैं।
सदन में अपने प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाने को इच्छुक महागठबंधन के ये छोटे दल ही अभी सक्रिय हैं। रालोसपा ने अपना सदस्यता अभियान आरंभ कर रखा है। अन्य दलों से कुछ नेताओं को पार्टी में शामिल कराया है। इनमें भाजपा के पूर्व विधायक डा. विनोद यादव प्रमुख हैं।
रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर लगातार जिला स्तर के नेताओं के साथ बैठकें भी कर रहे हैं। वहीं, विकासशील इनसान पार्टी ने हाल में संगठन विस्तार के क्रम में कई पदों पर नए लोगों को नियुक्त किया है।
रालोसपा द्वारा विभिन्न मुद्दों को लेकर हाल में हुए आंदोलनों में विकासशील इनसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी उपस्थित दिखे हैं। इधर, जीतन राम मांझी खुद पार्टी नेताओं के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं। महागठबंधन के वरिष्ठ नेता होने के नाते वे लगातार राजद को अविलंब संकट से मुक्त होने के उपाय ढूंढने की सलाह भी दे रहे हैं। 

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